Book Title: Jain Darshan ke Maulik Tattva
Author(s): Nathmalmuni, Chhaganlal Shastri
Publisher: Motilal Bengani Charitable Trust Calcutta

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Page 539
________________ 188 पंचास्तिकाय - पंचा० पंच वस्तुक - पं० व. बुद्ध चरित्र - बु० च० बुद्ध वचन बु० १० जैन दर्शन के मौलिक तस्व - त्रभाष्य ब्रह्म० भगवती वृत्ति भग० वृ० भगवती सूत्र - भग० मिक्षु न्यायकर्णिका - भिक्षु० न्या० मज्मिम निकाय -म० नि० मनुस्मृति मनु - महापुराण महा० पु० महाभारत महा० भा० महावमा महा● मीमांसा श्लोक वार्तिक मी० श्लो० वा० मुण्डकोपनिषद् - सुएड० उप० योगदर्शन - योग० द० योगदृष्टि समुच्चय योगशास्त्र - योग० योगसूत्र - योग० सू० योग० ६० स० रनकरण्ड श्रावकाचार - रा० भा० राजप्रश्नीय -रा० प्र० लोक तत्त्व निर्यय-लां० त० नि० लोकप्रकाश- लो० प्र० बरांग चरित्र -१० च० दाद्वात्रिंशिका ( सिद्धिसेन ) वा० द्वा० विशेषावश्यक भाष्य - वि० भा० विशेषावश्यक भाष्य वृद्धि - वि० भा० वृ० विज्ञान की रूपरेखा -- बिठा० रूप०.

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