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धर्मपरोक्षा-४ सा तथा स्थितवती शुभवेषा को ऽपि वेत्ति न यथा कुलटेति । या विमोहयति शक्रमपि स्त्री मानवेषु गणनास्ति न तस्याः ॥८६ साधिताखिलनिजेश्वरकार्यो वल्लभान्तिकमसौ बहुधान्यः । एकमेत्य पुरुषं प्रजिवाय ग्रामबाह्यतरुखण्डनिविष्टः ॥८७ तामुपेत्य निजगाद स नत्वा वल्लभस्तव कुरङ्गि समेतः । भोजनं लघु विधेहि विचित्रं प्रेषितः कथयितुं तवं वार्ताम् ॥८८ तस्य वाक्यमवधार्य विदग्धा जल्पति स्म पुरुषं कुटिला सा । ज्यायसी' त्वमभिधेहि महेलां निन्द्यते क्रमविलङ्घनमार्यैः ॥८९ सा समेत्य सह तेन तदन्तं भाषते स्म तव सुन्दरि भर्ता। आगतो बहुरसं कुरु भोज्यं भोक्ष्यते ऽद्य तव सद्मनि पूर्वम् ॥१० सुन्दरी निगदति स्म कुरङ्गों कल्पयामि कलभाषिणि भोज्यम् ।
चारुयौवनमिवोज्ज्वलवणं भोक्ष्यते न परमेष पतिस्ते ॥९१ ८७) १. विप्रम् । २. प्रेषयामास । ८८) १. प्राप्य । २. आगतः । ३. क शीघ्रम् । ४. तवाग्रे । ८९) १. अग्रवल्लभामभिधेहि कथय । २. क बड़ी स्त्रियों । ३. क आज्ञा उल्लङ्घन बड़ोंकी करै नहीं
वह उत्तम वेषको धारण करके इस प्रकारसे स्थित हो गयी कि जिससे कोई यह : समझ सके कि यह दुराचारिणी है। ठीक है-जो स्त्री इन्द्रको भी मुग्ध कर लेती है उसर्क भला मनुष्योंमें क्या गिनती है ? वह मनुष्योंको तो सरलतासे ही मुग्ध कर लेती है ॥८६॥
उधर अपने स्वामीके कार्यको सिद्ध करके वह बहुधान्यक वापस आ गया। वह उस समय गाँवके बाहर वृक्षसमूहके मध्यमें ठहर गया। आनेकी सूचना देनेके लिए उसने एक पुरुषको अपनी प्रियतमा ( कुरंगी) के पास भेज दिया ॥८७॥
वह आकर नमस्कार करता हुआ बोला कि हे कुरंगी ! तेरा प्रियतम आ गया है ।। शीघ्र ही अनेक प्रकारका उत्तम भोजन बना । इस वार्ताको कहने के लिए उसने मुझे तेरे पार भेजा है।।८८॥
उसके वाक्यसे पतिके आनेका निश्चय करके वह चतुर कुरंगी कुटिलतापूर्वक उर पुरुपसे बोली कि तुम ज्येष्ठ पत्नीसे जाकर कहो। कारण यह कि सज्जन पुरुष क्रमके उल्लंघन की निन्दा किया करते हैं ।।८९॥
इस प्रकार कह कर वह उसके साथं आयी और बोली कि हे पूज्य सुन्दरि! तुम्हार पति वापस आ गया है। तुम उसके लिए बहुत रसोंसे संयुक्त भोजन बनाओ, वह तुम्हा घरपर भोजन करेगा ॥१०॥
यह सुनकर सुन्दरी उस कुरंगीसे बोली कि हे मधुर भाषण करनेवाली कुरंगी!: उज्ज्वल वर्णवाले यौवनके समान भोजनको बनाती तो हूँ, किन्तु यह तेरा पति यहाँ भोज करेगा नहीं ॥९१।। ८७) ड नरेश्वर' । ८९) क महेली; अ ड कुटिलास्या। ९०) अ क ड इ भोज्यते; ड वेश्मनि; अ पूज्ये for पूर्वं । ९१ ) क इ भोज्यते ।
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