Book Title: Dharmapariksha
Author(s): Amitgati Acharya, Balchandra Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 373
________________ ३५२ अमितगतिविरचिता संवत्सराणां विगते सहस्र ससप्ततौ विक्रमपार्थिवस्य । इदं निषिद्धान्यमतं समाप्तं जिनेन्द्रधर्मामृतयुक्तशास्त्रम् ॥२० इत्यमितगतिकृता धर्मपरीक्षा समाप्ता। यह निर्मल शास्त्र पृथिवीपर अवस्थित रहे व धर्म-अधर्मका विचार करनेवाले विद्वान उसका हर्षपूर्वक निरन्तर व्याख्यान करते रहें ॥१९॥ अन्य मतोंका निषेध करके जैन धर्मका प्रतिपादन करनेवाला यह धर्मपरीक्षा नामक शास्त्र विक्रम राजाकी मृत्युसे सत्तर अधिक एक हजार वर्ष ( वि. सं. १०७० ) में समाप्त हुआ॥२०॥ २०) इ निषिध्यान्य .... मृतयुक्तिशास्त्रम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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