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धर्मपरीक्षा-१७ वृषो ऽकपटसंकटः सकलजीवरक्षापरो वसन्तु मम मानसे ऽमितगतिः शिवायानिशम् ॥१०० इति धर्मपरीक्षायाममितगतिकृतायां सप्तदशः परिच्छेदः ॥१७॥
१००) १. कपटरहितः।
कपटकी विषमतासे रहित होकर समस्त प्राणियोंकी रक्षा करनेवाला हो वह धर्म कहा जाता है । ग्रन्थकार अमितगति आचार्य कहते हैं कि ये तीनों मोक्ष सुखकी प्राप्तिके लिए मेरे हृदयमें निरन्तर वास करें ॥१०॥
इस प्रकार आचार्य अमितगति विरचित धर्मपरीक्षामें सत्रहवाँ परिच्छेद
समाप्त हुआ ॥१७॥
१००) भ इ रक्षाकरो;... मितगतः ।
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