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तेईस
१८-२१ तत्त्वचर्चा, भिन्न-भिन्न स्थानों में चातुर्मासिक प्रवास बिताने
का आदेश और कर्तव्य-निर्देश ।। २२-३० मुनि भिक्षु का मेवाड़ की ओर प्रस्थान । अरावलि पवंत
माला का वर्णन। महाराणा प्रताप की तेजस्विता का
निरूपण और मानसिंह का चरित्र । ३१-४१ बादशाह अकबर द्वारा मेवाड़ पर आक्रमण । महाराणा वीर
प्रतापसिंह द्वारा सामना करना, कठिनाइयों को सहना तथा बे-घर-बार होकर रानी और पुत्र के साथ अरावली के जंगल में भटकना, धर्म की रक्षा के लिए प्राणों को न्योछावर
कर देना । ४२-४४ महाराणा की पृष्ठभूमि में मुनि का साहसिक चिंतन, नूतन
दीक्षा-ग्रहण का संकल्प । ४५-४७ केलवा नगर का वर्णन । ___४८ अंधेरी ओरी में चातुर्मास के लिए अवस्थित होना। ४९-५३ भस्मग्रह और धूमकेतु ग्रहों की अवस्थिति, काल-गणना, प्रभाव
और तेरापंथ के उदय की प्रासंगिकता। ५४ भस्म ग्रह और धूमकेतु के प्रभाव की काल-गणना।
५५ मुनि भिक्षु द्वारा नवीन दीक्षा ग्रहण । ५६-५९ मुनि भिक्षु के साथ वाले पांच संतों का गुण-वर्णन, नई दीक्षा
की दीप्ति तथा हर्षोल्लास। ६० मुनि भिक्षु के पुरुषार्थ की फलश्रुति ।