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अर्थात् गौतम आदि शिष्यों को उनके प्रश्नों का उत्तर प्रदान करते हुए श्रमण भगवान् महावीर द्वारा श्रेष्ठतम विधि से जीव-अजीव आदि अनेक ज्ञेय पदार्थों की व्यापकता एवं विशालतापूर्वक की गई व्याख्याओं का गणधर आर्य सुधर्मा द्वारा अपने शिष्य जम्बू के समक्ष प्ररूपण जिस ग्रंथ में किया गया वह ग्रंथ व्याख्याप्रज्ञप्ति है। दूसरे शब्दों में गौतम आदि शिष्यों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर की महावीर द्वारा प्रज्ञापना, जिस शास्त्र में की गई, वह व्याख्याप्रज्ञप्ति है। आचार्य अभयदेवसूरि ने व्याख्याप्रज्ञप्ति के पृथक्-पृथक् रूपान्तरणों का निर्वचन इस प्रकार किया है
व्याख्या + प्रज्ञा + आप्ति = व्याख्याप्रज्ञाप्ति 0 व्याख्या + प्रज्ञा + आत्ति = व्याख्याप्रज्ञात्ति
अर्थात् इसमें व्याख्या की प्रज्ञा से अर्थ की प्राप्ति होती है, इसलिए यह व्याख्याप्रज्ञाप्ति या व्याख्याप्रज्ञात्ति है। 0 व्याख्याप्रज्ञ + आप्ति = व्याख्याप्रज्ञाप्ति 0 व्याख्याप्रज्ञ + आत्ति = व्याख्याप्रज्ञात्ति ___ अर्थात् व्याख्या करने में प्रज्ञ भगवान् महावीर के द्वारा गणधरों को अर्थ रूप में ज्ञान की प्राप्ति हुई है, अतः इस आगम का नाम व्याख्याप्रज्ञाप्ति या व्याख्याप्रज्ञात्ति है। इसके दो अन्य पाठ 'विवाहपण्णत्ति' तथा 'विबाहपण्णत्ति' भी मिलते हैं। वृत्तिकार ने इनकी व्याख्या इस प्रकार की है; 0 वि + वाह + प्रज्ञप्ति = विवाहप्रज्ञप्ति। अर्थात् जिसमें विविध या विशिष्ट अर्थप्रवाहों (नयप्रवाहों)का प्रज्ञापन किया हो उस श्रुत का नाम विवाहप्रज्ञप्ति है। 0 वि + बाध + प्रज्ञप्ति = विबाधप्रज्ञप्ति । इसमें बाधा रहित अर्थात् प्रमाण से अबाधित ज्ञान का निरूपण है, अतः यह विबाधप्रज्ञप्ति है। गौतम गणधर आदि शिष्यों व महावीर के प्रश्नोत्तर रूप में होने के कारण दिगम्बर परम्परा के ग्रंथ कषायपाहुड तथा राजवार्तिक' में इसका नाम 'व्याख्याप्रज्ञप्ति' मिलता है। भगवती विशेषण
इस आगम का दूसरा नाम भगवती है। भगवती वृत्ति में इसका उल्लेख हुआ है- इयं च भगवतीत्यपि पूज्यत्वेनाभिधीयते- (पृ० 2)। समवायांग में भी वियाहपण्णत्ति के साथ 'भगवती' विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुआ हैविवाहपन्नत्तीए णं भगवतीए चउरासीइं पयसहस्सा पदग्गेणं पण्णत्ता- (पृ. 143, मधुकर मुनि)। वस्तुतः व्याख्याप्रज्ञप्ति एक विशिष्ट आगम था, लोगों की इसके प्रति अपूर्व श्रद्धा व भक्ति के कारण इससे 'भगवती' विशेषण जुड़ गया जो
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भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन