Book Title: Bhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Author(s): Tara Daga
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 334
________________ परिशिष्ट अंग प्रविष्ट अंग बाह्य अंगार दोष अक्रियावादी अक्षीणपरिभोजी अक्षेत्रवान अचेतन अजीव द्रव्य अज्ञानवादी अणुव्रत अतिमुक्त कुमार अधर्मास्तिकाय अधोलोक अनशन अनुभागबंध अनुमान अनुयोग अनेकान्तवाद अन्तक्रिया अन्तरकाल अन्यतीर्थिक अप्कायिक अपर्याप्तक अपवर्तना अभिनिष्क्रमण अमूर्त अरिष्टनेमि अर्धमागधी 308 शब्दानुक्रमणिका 12 12, 13 243 213 207 80 80 81, 82, 116 213 265 47 137, 138 69 240 285 168-170 13 173,175,176 289 128 212, 213 102 111, 112 286 224 80 4 12 अलोकाकाश अवकाशान्तर अवक्तव्य का स्थान अवगाहना अवधिज्ञान मौदर्य अवसर्पिणी अष्टचरम असंसारसमापन्नक असर्वगत अस्तिकाय आकाश आकाशास्तिकाय आगम आगमवाचनाएँ आचारांग आजीविक आत्मा आभिनिबोधिकज्ञान आभियोगिक आराधना आलोचना इत्वरिक अनशन इन्द्रियां ईशानेन्द्र उत्तरगुणप्रत्याख्यान उत्तराध्ययन उत्पाद 144 73 186 143 163 240 3 208 101 81 67 142, 143 142 5-16 9, 10, 11 19 202 85, 86 164 212 229 233-235 240 99 47 273 23, 24 76, 77, 91 भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन

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