Book Title: Bhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Author(s): Tara Daga
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 339
________________ पुस्तक परिचय भगवतीसूत्र जैन आगम साहित्य के इतिहास का ऐसा चमकता नक्षत्र है जिसकी आभा द्रव्य-विज्ञान से आरम्भ होकर आचार आदि को आलोकित करती हुई विज्ञान की ओर अग्रसर हो जाती है। इस ग्रन्थ का मूल नाम व्याख्याप्रज्ञप्ति है। व्याख्याप्रज्ञप्ति नाम वाला यह पंचम अंग ग्रन्थ जनसाधारण में अपनी पूज्यता व महत्ता के कारण ही भगवती के नाम से प्रसिद्ध है । सम्पूर्ण ग्रन्थ प्रश्नोत्तर शैली में लिखा गया है जिसमें गौतम गणधर तथा अन्य जिज्ञासु शिष्यों द्वारा पूछे गये सहस्रों प्रश्नों के उत्तर श्रमण भगवान् महावीर ने स्वयं प्रदान कर उनकी जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयत्न किया है । भगवतीसूत्र ज्ञान का ऐसा विश्वकोश है, जो अपने में समस्त विषयों को समाहित किये हुए है। आचार्यों ने इसे शास्त्रराज एवं ज्ञान का महासागर कहकर संबोधित किया है। प्रस्तुत कृति 'भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन' इस विशालकाय ग्रन्थ के दार्शनिक पक्ष को प्रस्तुत करने का एक छोटा सा प्रयास है।

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