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आदि का भी विवेचन हुआ है । अन्य ग्रंथों में भी इस सम्पद्राय के विषय में विवेचन मिलता है। आचार्य पाणिनि और आचार्य पतंजलि के अनुसार गोशालक परिव्राजक था और 'कर्म मत करो' इस मत का संस्थापक था । आवश्यकचूर्णि, आवश्यकवृत्ति, आवश्यकमलयगिरिवृत्ति आदि अनेक ग्रंथों में भी गोशालक के जीवन प्रसंग वर्णित हैं । 21 उपासकदशांग 22 में उन्हें नियतिवादी के रूप में चित्रित किया गया है, जो उत्थान, कर्म, बल, वीर्य और पराक्रम को स्वीकार नहीं करते
थे ।
परिव्राजक
परिव्राजक श्रमण ब्राह्मण धर्म के प्रतिष्ठित सन्यासी होते थे । ये आवसथ में निवास करते और आचारशास्त्र तथा दर्शन आदि विषयों पर वाद-विवाद करने के लिए दूर-दूर तक पर्यटन करते थे । गेरुआ वस्त्र पहनने के कारण इन्हें गेरुअ अथवा गैरिक भी कहा गया है। 23 ये भिक्षा से अपनी आजीविका करते थे । भगवान् महावीर के काल में इनकी संख्या विपुल मात्रा में थी । औपपातिकसूत्र, सूत्रकृतांग आदि जैनागमों में परिव्राजक सन्यासियों के उल्लेख मिलते हैं | 24 भगवतीसूत्र 25 में गर्दभाल नामक परिव्राजक के शिष्य कात्यायनगोत्रीय स्कन्दक परिव्राजक का विस्तार से वर्णन हुआ है। लोक सांत है या अनंत, जीव सांत है या अनंत आदि प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए गर्दभालं भगवान् महावीर के पास पहुँचता है। भगवान् महावीर द्वारा उनका समाधान करने पर वह श्रमणदीक्षा अंगीकार करता है तथा कठोर तपस्या कर मोक्ष प्राप्त करता है । इसके अतिरिक्त मुद्गल परिव्राजक 26 व अम्मड परिव्राजक 27 के उल्लेख भी ग्रंथ में आये हैं । आलभिका नगरी के मुद्गल परिव्राजक को तपश्चर्या व भद्रता के कारण विभंगज्ञान उत्पन्न होता है । किन्तु, भगवान् महावीर की देशना सुनकर उसका विभंगज्ञान नष्ट हो जाता है तथा वह श्रमण दीक्षा अंगीकार कर मोक्ष प्राप्त करता है । काम्पिल्यपुर के अम्मड परिव्राजक व उसके 700 शिष्यों का भी भगवतीसूत्र में उल्लेख है। किन्तु, विशेष वर्णन के लिए औपपातिकसूत्र 28 देखने का निर्देश किया गया है। औपपातिकसूत्र में अम्मड परिव्राजक का प्रसंग विस्तार से वर्णित हुआ है।
भगवतीसूत्र” में चरक परिव्राजक का भी उल्लेख मिलता है। जैनसूत्रों में चरकों की गणना परिव्राजकों के अन्तर्गत की गई है। प्रज्ञापनासूत्र में चरक आदि परिव्राजकों को कपिलमुनि का पुत्र कहा गया है। गेरुए या भगुए रंग के वस्त्र पहनकर घाटी (सामूहिक भिक्षा) द्वारा आजीविका करने वाले त्रिदण्डी, कच्छोक
महावीरेतर दार्शनिक परम्पराएँ
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