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इस प्रश्नोत्तर में अस्ति, नास्ति, अवक्तव्य, अस्ति - नास्ति, अस्ति - अवक्तव्य, नास्ति - अवक्तव्य इन छः भंगों की योजना परिलक्षित होती है ।
त्रिप्रदेशीस्कन्ध के संबंध में प्रश्न किये जाने पर ग्रंथ में तेरह भंगों की योजना प्रस्तुत की गई है - गोयमा ! 1 तिपएसिए खंधे सिए आया, 2 सिय नो आया, 3 सिय अवत्तव्वं - आया ति य नो आया ति य, 4 सिय आया य नो आया य, 5 सिय आया य नो आयाओ य, 6 सिय आयाओ य नो आया य, 7 सिय आया य अवत्तव्वं - आया ति य नो आया ति य, 8 सिय आया य अवत्तव्वाइंआयाओ य नो आयाओ य, 9 सिय आयाओ य अवत्तव्वं आया ति य नो आयाति य, 10 सिय नो आया य अवत्तव्वं - आया ति य नो आया ति य, 11 सिय नो आया य अवत्तव्वाइं आयाओ य नो आयाओ य, 12 सिय नो आयाओ य अवत्तव्वं आया ति य नो आया ति य, 13 सिय आया य नो आया य अवत्तव्वं-आया ति य नो आया ति य । ( 12.10.29 ) अर्थात् हे गौतम ! 1 त्रिप्रदेशीस्कन्ध स्यात् आत्मरूप है । 2 स्यात् नोआत्मरूप है। 3 स्यात् आत्मरूप व नोआत्मरूप होने से अवक्तव्य है । 4 स्यात् आत्मरूप और स्यात् नोआत्मरूप है। 5 स्यात् आत्मरूप व अनेक नोआत्मरूप है। 6 स्यात् अनेक आत्मरूप है व नोआत्मरूप है। 7 स्यात् आत्मरूप व अवक्तव्य है । 8 स्यात् आत्मरूप और अनेक आत्मरूप व अनेक नोआत्मरूप होने से अवक्तव्य है । 9 स्यात् अनेक आत्मरूप व अवक्तव्य है । 10 स्यात् नोआत्मरूप और अवक्तव्य है। 11 स्यात् नोआत्मरूप और अनेक आत्मरूप व अनेक नो आत्मरूप होने से अवक्तव्य है। 12 स्यात् अनेक नोआत्मरूप तथा अवक्तव्य है । 13 स्यात् आत्मरूप, नोआत्मरूप व अवक्तव्य है।
उपर्युक्त विवेचन में ग्रंथ में तेरह भंगों की योजना की गई है, किन्तु वास्तव में देखा जाय तो यहाँ मूल भंग - योजना सात ही है - 1. अस्ति, 2. नास्ति, 3. अवक्तव्य, 4. अस्ति-नास्ति 5. अस्ति- अवक्तव्य, 6. नास्ति - अवक्तव्य, 7. अस्तिनास्ति अवक्तव्य । इन्हीं सात मूल भंगों को आगे के आचार्यों ने अपने सप्तभंगी विवेचन में स्थान दिया है । इन तेरह भंगों में शेष छः भंग एक-वचन व बहुवचन की विवक्षा के कारण हैं । यदि वचनभेद की विवक्षा से प्रस्तुत किये गये 5, 6, 8, 9, 11 तथा 12वें भंग को निकाल दिया जाय तो मूल भंग सात शेष रह जायेंगे । इसके अतिरिक्त ग्रंथ में चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के संबंध में प्रश्न करने पर 19 भंगों की योजना, पंचप्रदेशी स्कंध के संबंध में प्रश्न करने पर 22 भंगों की योजना तथा
भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन
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