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भगवान् महावीर
रखना चाहिए कि जहाँ तक समाज की नैतिक और धार्मिक परिस्थिति सन्तोष-जनक नहीं होती, वहाँ तक राजनैतिक परि. स्थिति भी-फिर चाहे वह बाहर से कितनी ही अच्छी क्यों न हो--कभी समुन्नत नहीं हो सकती । समाज की नैतिक-परिस्थि. ति का राजनैतिक परिस्थिति के साथ कारण और कार्य का सम्बन्ध है । यदि समाज की नैतिक-स्थिति खराब है, यदि तत्कालीन जनसमुदाय में नैतिकबल की कमी है, तो समझ लीजिए कि उस काल की राजनैतिक स्थिति कभी अच्छी नहीं हो सकतीइसके विपरीत यदि समाज में नैतिकबल पर्याप्त है, जनसमुदाय के मनोभावों में व्यक्तिगत स्वार्थ की मात्रा नहीं है तो ऐसी हालत में उस समाज की राजनैतिक स्थिति भी खराब नहीं हो सकती। यदि हुई भी तो वह बहुत ही शीघ्र सुधर जाती है। किसी भी राजनैतिक आन्दोलन को भविष्य आन्दोलन कर्ताओं के नैतिकबल का अध्ययन करने से बहुत शीघ्र निकाला जा सकता है । यह सिद्धान्त नूतन नहीं, प्रत्युत बहुत पुरातन है-और इसी सिद्धान्त की विस्मृति हो जाने के कारण ही भारत का यह दीर्घकालीन पतन हो रहा है। अस्तु ! ____ अब आगे हम उस काल की सामाजिक और नैतिक परि. स्थिति का विवेचन करते हैं । पाठक अवश्य इन सब परिस्थितियों को मनन कर वास्तविक निस्कर्ष निकाल लेंगे। ___ भगवान महावीर का जन्म होने के बहुत पूर्व आर्य लोगों के समुदाय पंजाब से बढ़ते बढ़ते बंगाल तक पहुँच चुके थे। उत्तम आबहवा और उपजाऊ जमीन को देख कर ये लोग स्थायी रूप से यहीं बसने लग गये। अब इन लोगों ने चौपाये
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