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सत्रह
ज्याख्यान तेरहवाँ
१९०
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विषय आत्मा की शक्ति (१) तीर्थकर किस भूमि में होते है तीर्थंकरो का जन्म और दिक्कुमारियो का
आगमन १८९ एक प्रासगिक घटना सोमधर्मेन्द्र को जन्म की जानकारी और जाने की
तैयारी १९० नाम के मोह पर नरघाजी का किस्सा हरिणैगमेपी की उद्घोषणा और प्रयाण प्रनु को मेरु पर ले जाना मेल-पर्वत पर स्नानाभिषेक
१९३ सौधमेन्द्र की शंका और प्रभु द्वारा प्रदर्शित
अद्भुत शक्ति १९४ त्नात्राभिषेक की पूर्णाहुति बकरिया सिंह का दृष्टान्त
१९६ रूपसेन की कथा
१९७ आत्मा की शक्ति (२)
२०४ बलदेव का बल वासुदेव का बल
२०६ चक्रवर्ती का बल
२०९ तपस्वी के बल पर महामुनि विष्णुकुन्नार की
कथा २११ आत्मसुख (१)
२१९ भौरे और गुबरीले का दृष्टान्त
२२३ सेठ-सिठानी की बात
.२२७
१९५
चौदहवाँ
२०५
पंद्रहवाँ