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अनेकान्त 60/1-2 की परिष्कृत भाषाओं का उद्गम वैदिकभाषा को माना है।
कुछ विद्वानों ने भारतीय-यूरोपीय भाषाओं की मूल भाषा के रूप में उर्सप्राख (Ursparache) नामक एक भाषा की कल्पना की है।
भारत-यूरोपीय (भारोपीय) भाषा-परिवार से आशय उन समस्त भाषाओं से है, जो उस प्रचीन भारत-यूरोपीय मूल भाषा से निकली है। भारत यूरोपीय शब्द से यही अभिप्राय है कि इस भाषा परिवार के भारत से लेकर यूरोप तक के भौगोलिक विस्तार की ओर ध्यान दिया जा सके-इस परिवार के नाम के सम्बन्ध में बहुत विवाद रहा हैं तथा समय-समय पर अनेक नाम सामने आये हैं जैसे-इण्डो-केल्टिक, संस्कृत, जेफाइट, या जफेटिक, काकेशियन, आर्य, इण्डो-योरोपियन, (भारोपीय) विरोस, इण्डो-हित्ताइत, भारोपिय-एनाटोलियन आदि-आदि।13
___The origin and development of the bengali language में डा. सुनीति कुमार चटर्जी ने जो भारतीय भाषाओं का वर्गीकरण किया वह उल्लेखनीय है। जिसमें संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं का स्रोत माना गया है।
__वैदिक भाषा,सस्कृत भाषा
प्राकत
पारसी
जिन्दभाषा
जर्मनभाषा
पश्तो-तुर्की
फ्रासीसी, अग्रेजी, डच
मागधी, शोरसेनी, अपभ्रश, पेशाची,
बंगाली,
पाली
ब्रजभाषा बुन्देलखण्डी डिगल, गुजराती, मराठी उत्कली असमी
मालवी, सौराष्ट्री, शेणवी
चीनी
भारतीय आर्य भाषा को विकास-क्रम की दृष्टि से तीन युगों में विभक्त किया जा सकता है।