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8.
सामायिक प्रतिमा
प्रोषध प्रतिमा
सचित्त त्याग प्रतिमा
रात्रि भक्त प्रतिमा
ब्रह्मचर्य प्रतिमा
आरम्भ त्याग प्रतिमा
परिग्रह त्याग प्रतिमा
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10. अनुमति त्याग प्रतिमा
11. उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा
अनेकान्त 60/3
इन प्रतिमाओं के छठे भेद को लेकर आचार्यों में मतभेद हैं। आ. समन्तभद्र ने छठी प्रतिमा को रात्रि भुक्ति विरत नाम दिया है । वह रात्रि में चारों प्रकार के आहार का त्याग करता है । चारित्र - पाहुड ( गाथा 21 ), प्राकृत पंच संग्रह ( 1 / 136 ), बारस अणुपेक्खा (गा. 69), गो. जीवकाण्ड (गा. 476) और वसुनन्दि श्रावकाचार में छठी प्रतिमा का नाम राइभत्ती ही है । महापुराण में ( पर्व 10 ) में दिवास्त्री संग त्याग नाम दिया है । सोमदेव के उपासकाचार में ( 853-854 श्लोक ) तीसरी प्रतिमा अर्चा, पॉचवीं प्रतिमा अकृषिक्रिया - कृषि कर्म न करना और आठवीं प्रतिमा सचित्त त्याग है । श्वेताम्बर आम्नाय में योगशास्त्र ( टीका 3 / 148 ), पॉचवीं प्रतिमा पर्व की रात्रि में कायोत्सर्ग करना, छठी प्रतिमा ब्रह्मचर्य, सातवीं प्रतिमा सचित्त त्याग, आठवीं प्रतिमा स्वयं आरम्भ न करना, नवमीं दूसरे से आरम्भ न कराना, दसवीं प्रतिमा उद्दिष्ट त्याग और ग्यारहवीं साधु की तरह निस्संग रहना, केशलोंच करना आदि है । यह अन्तर है ।
1. दर्शन प्रतिमा
जिसने (पूर्व अध्यायों में कहे गये) पाक्षिक श्रावक के आचार के आधिक्य से अपने निर्मल सम्यग्दर्शन को निश्चल बना लिया है, जो