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अनेकान्त 60/4
शाम को खरबूजा खायें या उस जैसी दूसरी चीजें खायें तो बीमार ही पड़ेगे। इसलिए भोजन के साथ हित का विवेक भी होना चाहिए।
रात्रि के समय हृदय और नाभिकमल संकुचित हो जाने से भुक्त पदार्थ का पाचन भी गड़बड़ हो जाता है। भोजन करके सो जाने पर वह कमल और भी संकुचित हो जाता है। भोजन करके निद्रा लेने से पाचन शक्ति घट जाती है और रात को सोना अनिवार्य है अतः रात को भोजन करना स्वास्थ्य के लिए बड़ा घातक है। सागारधर्मामृत में लिखा है
भुंजतेऽह्नः सकृद्वर्या द्विर्मध्याः पशुवत्परे। उत्तम पुरुष दिन में एक बार, मध्यम पुरुष दो बार और सर्वज्ञ के द्वारा कहे गये रात्रि भोजन त्याग के गुणों को न जानने वाले जघन्य पुरुष पशुओं की तरह रात-दिन खाते हैं अर्थात जो दिन में केवल एक बार भोजन करते है, वे उत्तम हैं, जो दो बार भोजन करते हैं वे मध्यम हैं और जो रात-दिन खातें हैं वे पशु के तुल्य हैं।
मुनिश्री महेन्द्र कुमार जी ने अपनी पुस्तक 'जैनदर्शन और विज्ञान' पृष्ठ 155 में लिखा है कि रात्रि भोजन न करना धर्म से संबंधित तो है ही क्योंकि यह धर्म के द्वारा प्रतिपादित हुआ है। इसके साथ इस निषेध का एक वैज्ञानिक कारण भी है। हम जो भोजन करते हैं, उनका पाचन होता है तैजस शरीर के द्वारा। उसको अपना काम करने कमे लिए सूर्य का आतप आवश्यक होता है। जब शरीर को प्रकाश नहीं मिलता तब वह निष्क्रिय हो जाता है, पाचन कमजोर हो जाता है। इसलिए रात को खाने वाला अपच की बीमारी से बच नहीं पाता।। ___ जब सूर्य का आतप होता है तब कीटाणु बहुत सक्रिय नहीं होते। बीमारी जितनी रात में सताती है उतनी दिन में नहीं सताती। उदाहरणार्थ वायु का प्रकोप रात में अधिक होता है। ये सारी बीमारियाँ रात में इसलिए सताती हैं क्योंकि रात में सूर्य का प्रकाश