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चन्द्रगुप्त मौर्य व उनकी कृति सुदर्शन झील
- प्रतिष्ठाचार्य संदीप कुमार जैन सुदर्शन झील पश्चिम भारत के सौराष्ट्र देश के गिरिनगर स्थित गिरनार पर्वत की प्रान्तीय नदियों पर बांध बांधकर चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा बनवाई गई थी। इस झील के सन्दर्भ में समय-समय पर अनेक विद्वानों ने लिखा है किन्तु कहीं पर भी पूर्ण जानकारी न मिलने से इस झील का इतिहास अधूरा जान पड़ता है। इस लेख के माध्यम से इस झील व झील के निर्माता की विस्तृत जानकारी देने का प्रयास किया गया है। आशा है पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे। इसके लिए सर्वप्रथम मौर्य वंशी सम्राट चन्द्रगुप्त के इतिहास पर एक दृष्टि डालनी अति आवश्यक
कलिंगजिन (आद्य तीर्थकर वृषभदेव) मूर्ति पूजक एवं जैन धर्मोपासक नंद वंश के अंतिम नरेश धननन्द को पराजित कर चन्द्रगुप्त मौर्य ने पाटलीपुत्र (वर्तमान पटना) के राज सिंहासन को एक धार्मिक और शक्तिशाली सम्राट के रूप में सुशोभित किया व मगध में मौर्य वंश के शासन की स्थापना की।
कौटिल्य अर्थशास्त्र, कथासरित्सागर तथा बौद्ध साहित्य के अनुसार आप एक क्षत्रिय राजा थे। विष्णुपुराण एवं मुद्राराक्षस के अनुसार उसे नन्दराजा की शूद्रा दासी मुरा या धर्मघाती जाति की पत्नी से उत्पन्न कहा गया है।
इतिहासकार बी.पी. सिन्हा की मान्यता है कि मगध उस काल में आर्येतर समाज का दुर्ग था तथा आर्यगण उस क्षेत्र के निवासियों को व्रात्य कहते थे। अब क्योंकि चन्द्रगुप्त विस्तृत मगध क्षेत्र का स्थानीय नायक था, अतः वह उपेक्षित रहा। पाश्चात्य विद्वान् राईस डेविड्स के