________________
अनेकान्त 60/1-2
के किनारे बसा नगर, जो आधुनिक अफगानिस्तान की राजधानी है।)12 [अराकोसिया (कन्दहार (अफगानिस्तान का दूसरा बड़ा नगर, जो एक महत्वपूर्ण मंडी भी है)]13 बलूचिस्तान (भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम में किरथर पर्वत श्रृंखला के उस पार स्थित)4 आदिस्थान सम्राट को समर्पण कर दिए।।5
सम्राट के इस बल को देखकर सिल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलेन का विवाह भी चन्द्रगुप्त के साथ कर दिया तथा चन्द्रगुप्त ने सिर्फ 500 हाथी सेनापति सिल्यूकस को उपहार स्वरूप भेंट दिए। सिल्यूकस का दर्प चूर कर उत्तरपश्चिम में हिन्दूकुश पर्वत तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। समस्त उत्तरीय भारत को एक समुद्र से दूसरे समुद्र से मिलाकर उस पर एक छत्र साम्राज्य स्थापित कर लिया। इन्हीं उपलब्धियों के कारण चन्द्रगुप्त की गणना भारतीय इतिहास के महान और सर्वाधिक सफल सम्राटों में होती हैं।
युद्ध विजय के लगभग 2 वर्षों के उपरांत सिल्यूकस निकेतर ने यूनानी राजदूत मेगस्थनीज को पाटली पुत्र दरबार में भेजा था। उसने अपनी इंडिका नामक पुस्तक में पाटली पुत्र नगर के वर्णन के साथ-साथ उस समय के रीति-रिवाजों का वर्णन किया था।
उसके अनुसार यह नगर सोन और गंगा नदी के संगम पर (आधुनिक दीनापुर के निकट) बसा था तथा इसका महल ऐश्वर्य और वैभव में सूसा और इकबताना के महलों को भी मात कराता था। इस नगर के चारों तरफ एक काठ की दीवार बनी थी, जिसमें 64 फाटक तथा 570 बर्जियाँ थी। इस दीवार के चारों तरफ गहरी खाई थी, जिसमें सोन नदी का जल भरा रहता था। मौर्य सम्राट के शासनकाल में पाटली पुत्र को भारतीय साम्राज्य का केन्द्रस्थान प्राप्त होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और यह बहुत समय तक स्थित भी रहा।32
तीर्थंकर वृषभदेव से भगवान महावीर की परंपरा के सूत्रधार पंचम अंतिम श्रुतकेवली श्री भद्रबाहु स्वामी के शिष्य जैन मतावलंबी सम्राट