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व्यक्तित्व और कृतित्व
कवि जी समाज की उक्त कल्पित मान्यता को स्वीकार नहीं करते । इस विषय में किसी सज्जन ने उनसे एक वार प्रश्न भी किया था । पाठकों की जानकारी के लिए मैं वह प्रश्न और उसका कवि जी द्वारा किया गया समाधान यहाँ पर उद्धृत कर रहा हूँ
प्रश्न-किसी के घर यदि लड़का होता है, तो लोग कहते हैंपुण्य के उदय से हुआ, और कन्या पैदा हो, तो कहते हैं कि पाप का उदय हो गया ! क्या आपकी दृष्टि से ऐसा मानना ठीक है.? ।
उत्तर–प्रश्न गम्भीर है और लोगों की धारणा है कि पुण्य के उदय से लड़का और पाप के उदय से कन्या होती है।
चाहे हजारों वर्ष से आप यही सोचते आए हों, किन्तु मैं इस विचार को चुनौती देता हूँ कि आपका विचार करने का यह ढंग विल्कुल गलत है। मिथिला के राजा कुम्भ के यहाँ मल्ली कुमारी का जन्म हुआ। वह पाप के उदय से हुआ या पुण्य के उदय से हुआ? और राजा उग्रसेन के यहाँ कंस का जन्म पाप के उदय से अथवा पुण्य के उदय से हुआ ? श्रेणिक के यहाँ कोणिक ने जन्म लिया, सो पाप के उदय से या पुण्य के उदय से ? मतलब यह है कि एकान्त रूप में लड़का-लड़की के जन्म को पुण्य-पाप का फल नहीं माना जा सकता।
मैंने एक आदमी को देखा है। उसके यहाँ एक लड़का भी था और एक लड़की भी थी। लड़के ने सारी सम्पत्ति वर्वाद कर दी । वह बाप को भूखा मारने लगा और भूखा ही नहीं मारने लगा, डंडों से भी मारने लगा। उसे दो रोटियां भी दूभर हो गई। आखिर उसने लड़की के यहाँ अपना जीवन व्यतीत किया और वहाँ उसे किसी प्रकार का कष्ट नहीं हुआ। जव वह मुझ से एक वार मिला, तो कहने लगा"वड़ा भारी पुण्य का उदय था कि मेरे यहाँ लड़की हुई। अब जीवन ढंग से गुजर रहा है । लड़की न होती, तो जिन्दगी वर्वाद हो जाती।"
मैंने लड़के के विपय में पूछा, तो उसने कहा-"न जाने किस पाप-कर्म के उदय से लड़का हो गया ?"
तो, उसने ठीक-ठीक निर्णय कर लिया। आपके सामने ऐसी परिस्थिति नहीं आई है । अतएव श्राप एकान्त रूप में निर्णय कर