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व्यक्तित्व और कृतित्व
मननीय लेख लिखे हैं | आपका स्वभाव मधुर है, प्रकृति शान्त है और दृष्टि उदार है ।
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आगरा वर्षावास में प्रसिद्ध वक्ता पं० श्री सौभाग्यमल जी महाराज के सुयोग्य विद्वान् शिष्य मनोहर मुनि जी ने कवि जी से विशेषावश्यक भाष्य और सन्मतितर्क जैसे कठिन एवं ग्राकर ग्रन्थों का अध्ययन किया । मनोहर मुनि जी लेखक और विचारक हैं । आपने साहित्यरत्न और शास्त्री परीक्षाएँ भी पास की हैं। आपकी लेखनी में प्रभाव और चमत्कार है ।
आगरा वर्षावास में ही पण्डित कन्हैयालाल जी 'कमल' ने कवि जी की देख-रेख में शास्त्र सम्पादन का काम किया था । उस समय आप कवि जी से आगम साहित्य पर तत्त्व चर्चा करते रहते थे । कमल जी का आगम-ज्ञानं और साहित्य साधना प्रशंसनीय है । कमल जी मिलनसार व्यक्ति हैं । कुछ न कुछ करना, यह आपके जीवन का सुन्दर ध्येय है | जयपुर वर्षावास में भी आप कवि जी की सेवा में शास्त्रसम्पादन कार्य करने के लिए ही आए थे ।
कवि जी के अपने शिष्य विजय मुनि और सुरेश मुनि ने भी संस्कृत, प्राकृत, धर्म, दर्शन और ग्रागम आदि विषयों का अध्ययन कवि जी महाराज से ही किया है ।
राजस्थान, पंजाव और महाराष्ट्र जैसे सुदूर प्रान्तों की आर्याओं ने भी समय-समय पर कवि जी से अध्ययन, चिन्तन और विचार चर्चा करके अपने ज्ञान की अभिवृद्धि की है । अनेक प्रार्यात्रों ने तत्त्वार्थ सूत्र, कर्म-ग्रन्थ और ग्रागमों का भी अध्ययन किया है ।
आगरा, दिल्ली, अम्वाला, फरीदकोट, जयपुर पालनपुर, अजमेर, कुचेरा और कानपुर के श्रावक एवं श्राविकाओं ने भी तत्त्वार्थसूत्र, कर्म-ग्रन्थ तथा अनेक ग्रागमों का अध्ययन किया है । कवि जी ज्ञान की प्याऊ हैं । कोई भी जिज्ञासु ग्राकर अपनी जिज्ञासा तृप्त कर मकता है । दूसरों को जान देने में कवि जी ने कभी भी प्रमाद नहीं किया है।
अध्ययन और अध्यापन-दोनों दृष्टियों से कवि जी का व्यक्तित्व अद्भुत, अनुपम और द्वितीय रहा है । उन्होंने अपने श्रम से ज्ञान