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बहुमुखी कृतित्व
१८७ चार्य ओर चन्द्रगुप्त मौर्य आदि के जीवन से मिलने वाली शिक्षाओं की ओर भी विशेष रूप से ध्यान दिया गया है ।
तीन बात-इसमें जीवन सम्बन्धी मुख्य-मुख्य सभी शिक्षाओं का समावेश हो जाता है। इस छोटी-सी पुस्तक में जिसका कि छठा संस्करण हो चुका है, कवि श्री जी ने आध्यात्मिक और नैतिक जीवन सम्बन्धी जिन तीन-तीन वातों की अोर पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है, वह उनके साधु-स्वभाव और पाण्डित्य के अनुरूप ही है। जैसे कितीन प्रकार का धर्म है
१. श्रेष्ठ अध्ययन, २. श्रेणु चिन्तन,
३. श्रेष्ठ तपश्चरण । तीन पर सदा अमल करो
१. अहिसा पर, २. सत्य पर,
३. ब्रह्मचर्य पर। तीन से सदा वचो
१. अपनी प्रशंसा से, २. दूसरों की निन्दा से,
३. दूसरों के दोष देखने से । आदर्श कन्या- इसमें शिक्षण शास्त्र के सभी मूल तत्त्वों का समावेश हो जाता है। जैसे-धर्म, दर्शन, संस्कृति, इतिहास, समाज और जीवन । फिर भी जीवन के सम्बन्ध में विशेष लिखा गया है। इसमें अट्ठाइस विपयों पर सुन्दर, सरस और मधुर भापा में विचारों की अभिव्यक्ति की गई है। जीवन विकास के लिए जिन गुणों की आवश्यकता है, उन समस्त गुणों का संक्षेप में अंकन किया गया है। इस पुस्तक की भापा के सम्बन्ध में मैं यहाँ पर एक उद्धरण प्रस्तुत कर रहा हूँ-- 'प्रेम करो, प्रेम मिलेगा'
___ "यह संसार एक प्रकार का दर्पण है। तुम जानती हो, दर्पण में क्या होता है ? दर्पण के आगे यदि तुम हाथ जोड़ोगी, तो वहाँ का