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कवि जी को प्रवचन-कला
एक पाश्चात्य पण्डित ने बड़े स्वाभिमान के साथ एक दिन कहा था-'Let me speak, I will conquer all world.'"मुझे बोलने दो, मैं सारी दुनिया को जीत लूगा।"
___ अपने विषय में की गयी उस वक्तृत्व-कला-विशारद की भविष्यवाणी में यदि 'संसार' शब्द के स्थान पर 'समाज' शब्द का संशोधन कर दिया जाए, तो वही भविष्य-वाणी कवि श्री जी के विषय में पूर्णतः सत्य हो उठती है । मधुर मुस्कान के साथ आपके भाषणों की प्रोजस्विता जन-मन-नयन को चुम्बक की तरह बलात् अपनी ओर खींच लेती है । जो एक बार भी उनका धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत भाषण सुन लेता है, वह हमेशा के लिए उनका बन जाता है। ऐसा जादू है उनकी प्रोजस्विनी वाणी में । व्यावर जैसे साम्प्रदायिक क्षेत्रों में निर्भयता पूर्वक पहुँच कर उन्होंने अपने क्रान्तिपूर्ण विचारों, तथ्यपूर्ण दृष्टिकोणों और प्रोजस्वितापूर्ण भाषणों से वह धूम मचाई कि वहाँ के नवीन-प्राचीन—सभी तत्त्व यह कहते हुए गौरव की अनुभूति करते थे-'सन्त तो बहुत देखे, भाषण भी वहुत सुने, पर ऐसा महान् सन्त, ऐसा क्रान्त विचारक, ऐसा प्रखर प्रवक्ता तो व्यावर में पहली बार ही आया है।'
कविश्री जी की भाषण-शैली सरल, परिमार्जित, मर्म-स्पर्शी और दार्शनिकता से सम्पृक्त है । "उनके भावों में गाम्भीर्य है। उनकी शैली में अोज है। उनकी भाषा बड़ी सुहावनी है। नदी के प्रवाह की