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व्यक्तित्व और कृतित्व
वर्ण-व्यवस्था से लड़ा, ईश्वर से लड़ा, देवी-देवताओं से लड़ा, भोग-वासना से लड़ा, और निष्क्रिय त्याग से भी लड़ा !"
किं बहुना ? "तुझे सव प्रकार के पाखण्ड, और अत्याचार से लड़ना पड़ा ! बड़े-बड़े झंझावात आए, प्रचण्ड तूफान भी आए !"
परन्तु फिर भी तू बुझा नहीं, कंप-कपाया तक नहीं!
प्रत्युतअधिकाधिक प्रकाशमान होता चला गया ! तेरे ज्ञानालोक की प्रभा दूर-दूर तक फैली, सव-दिग-दिगन्त आलोकित हो उठे ! भूले-भटकों ने राह पायी, और अन्धकार पर प्रकाश विजयी हुना!"