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व्यक्तित्व और कृतित्व 'उदयसिंह यदि राजा बना तो क्या मुझे फिर यों ही इधर-उधर गुलामी में चक्कर काटना पड़ेगा ?"-इन दुर्विचारों में वह एक वार वह गया, फिर लौट न सका। इधर-उधर से चन्द लोलुप समर्थ अधिकारी भी आ मिले । नर-राक्षसों का गुट मजबूत हो गया।"
-(शैली) "पन्ना निराशा के भंवर मे चक्कर खाती हुई उदयसिंह को लेकर लौटने को ही थी कि अन्दर के कमरे से शरीर पर सत्तर-अस्सी से भी कुछ अधिक वर्षों की पुरातनता का भार लादे हुए किन्तु मन के कण-कण में नव स्फुटित तरुणाई को भी फीका कर देने वाला अदम्य साहस लेकर एक बुढ़िया बाहर निकली।
"आस्सा, यह मैं अन्दर क्या सुन रही थी ? क्या तुम्हीं पन्ना को नकार में उत्तर दे रहे थे ?"
-(पात्र)