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निवन्ध-कला
निबन्ध का विवेचन करते हुए एक विद्वान् ने कहा कि-"निबन्ध गद्य की कसौटी है।' भापा की पूर्ण शक्ति का विकास निवन्ध में ही सबसे अधिक संभव होता है।" इस कथन से यह प्रमाणित होता है कि गद्य का पूर्ण विकसित और शक्तिशाली रूप निवन्ध में ही चरम उत्कर्ष को प्राप्त होता है । इसलिए भाषा की दृष्टि से निबन्ध गद्य-साहित्य का सबसे अधिक परिपक्व और विकसित रूप है। साधारण लेख तथा निवन्ध में पर्याप्त अन्तर होता है । साधारण लेख में लेखक का व्यक्तित्व प्रच्छन्न रहता है और निवन्ध में वह व्यक्तित्व सबसे ऊपर उभर कर सामने आता है। यह वैयक्तिता ही निवन्ध का सबसे प्रधान और महत्त्वशाली गुण है । हमारे यहां प्राचीन काल से बौद्धिक तथा ताकिक विषयों की विवेचना के लिए निबन्ध का ही प्राश्रय ग्रहण किया जाता रहा है।
__संस्कृत में 'निवन्ध' शब्द का अर्थ है-'बांधना' । निवन्ध वह है, जिसमें विशेप रूप से वन्ध या संगठन हो, अथवा जिसमें अनेक विचारों, मतों या व्याख्याओं का सम्मिश्रण या गुंफन हो। 'हिन्दी-शव्द-सागर' में इस शब्द का अर्थ है---"निवन्ध वह व्याख्या है, जिसमें अनेक मतों का संग्रह हो।" परन्तु आज का 'तिवन्ध' शब्द अपने पर्यायवाची अंग्रेजी शब्द 'Essay' के अर्थ में ह ग्रहण किया जाता है, जिसका अर्थ होता हैप्रयत्न । वास्तव में निवन्ध उस गद्य-रचना को कहते हैं, जिसमें परिमित प्राकार के भीतर किसी विषय का वर्णन अथवा प्रतिपादन अपने