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सवतोमुखी व्यक्तित्व
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एक विचारक और लेखक सन्त हैं। आजकल आप सन्तवाल जी के साथ में सर्वोदय क्षेत्र में समाज-कल्याण के कार्य में संलग्न है।
तपस्वी मिसरीलाल जी महाराज के शिष्य तपस्वी रोशन मुनिजी ने भरतपुर में कवि जी से स्थानांग सूत्र की टीका का अध्ययन किया । रोशन मुनि जी तपस्या की साधना के साथ ज्ञान की भी साधना कर रहे हैं । मुनि जी बहुत ही सरल प्रकृति के सन्त हैं । त्याग और तपस्या आपके जीवन की विशेषताएं हैं। अपनी साधना में आप मग्न हैं। '
जयपुर वर्षावास में पण्डित मिसरीमल जी मधुकर ने और मन्त्री श्री पुष्कर मुनि जी ने कवि जी से गणधरवाद का अध्ययन किया था।
मधुकर जी राजस्थान के प्रसिद्ध सन्तों में से एक हैं। स्वभाव के मधुर, प्रकृति के शान्त और मन के सरल सन्त हैं। संस्कृत और प्राकृत के आप विद्वान् हैं । मधुकर जी मधुर कवि हैं और लेखक भी। कवि जी के विचारों से आप बहुत ही अधिक प्रभावित हैं। आपने कवि जी के साथ में व्यावर से नाथद्वारा, चित्तौड़, भीलवाड़ा, विजयनगर, उदयपुर आदि की विहार-यात्रा भी की है। आपकी साहित्य साधना वहुत उर्वरा है।
मंत्री पुष्कर जी महाराज सरस मानस के सन्त हैं । स्नेह-सद्भाव और सहानुभूति--आपके मधुर जीवन की मधुरिमा है । आप मधुर भावों के प्रवक्ता हैं । कवि जी के प्रवचन-साहित्य का आपने खूब अध्ययन किया है। कवि जी के विचारों की आपके विचारों पर स्पष्ट छाप है । आप भी राजस्थान के प्रसिद्ध सन्तों में से एक हैं।
भीनासर सम्मेलन के बाद कुचेरा वर्षावास में पण्डित श्रीमल्ल जी महाराज ने कवि जी से बृहत्कल्प भाष्य, व्यवहार भाष्य और पञ्चाध्यायी जैसे आकर एवं मूर्धन्य ग्रन्थों का अध्ययन किया। पण्डित श्रीमल्ल जी का कवि जी महाराज से अनन्य स्नेह-सद्भाव हैं। श्रीमल्ल जी कवि जी के विचारों से बहुत ही अधिक प्रभावित हैं। आप मधुर प्रवक्ता हैं, समाज-सुधारक हैं। आपके विचार क्रान्तिकारी हैं। पुरातन रुढ़ियों को आप पसन्द नहीं करते । इन दिनों में आपने बहुत से