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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
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"जिस प्रकार धरती के नीचे सागर वह रहे हैं, पहाड़ की घट्टान के नीचे मीठे झरने हैं, उसी प्रकार क्रूर मनुष्य के अन्तर्मन में भी मानवता का अमृत-स्रोत वह रहा है । आवश्यकता है, उसे थोड़ा-सा खोद कर देखने भर की।"
निराश व्यक्ति को प्राशा और उत्साह की मधुर प्रेरणा देते हुए कवि जी कहते हैं- "यदि तू अपने अन्दर की शक्ति को जागृत करे, तो सारा भू-मण्डल तेरे एक कदम की सीमा में है। तू चाहे तो घृणा को प्रेम में, द्वीप को मैत्री में, अन्धकार को प्रकाश में, और मृत्यु को जीवन में तथा नरक को स्वर्ग में बदल सकता है।"
कवि जी के सम्पूर्ण विचारों का परिचय कराना यहाँ शक्य नहीं है। फिर भी स्थूल रूप में उनके विचारों की झांकी यहाँ पर दी गई है। उनके विचारों का पूर्ण परिचय तो उनके सहित्य के अध्ययन, चिन्तन और मनन से ही जाना जा सकता है।
कवि जी का विचार पक्ष दिनकर के प्रकाश की तरह भास्वर है। उसमें कहीं पर भी अन्ध-विश्वास, जड़-श्रद्धा और पुरातनरुढ़िवाद को स्थान नहीं है। भ्रान्त परम्पराओं का वे खुलकर विरोध भी करते हैं—पर विवेक के साथ में । कवि जी के व्यक्तित्व का विचार-विरोध में अनुरोध की, वैमनस्य में सामञ्जस्य की और प्रहार में प्रेम की खोज करता है। इसीलिए कवि जी महान हैं। अध्ययन :
अध्ययन जीवन की एक कला है। अध्ययन जीवन की एक संस्कृति है.। अध्ययन ज्ञान की साधना है। अध्ययन की जो पद्धति प्रचीन काल में थी, वह मध्यकाल में न रही, और जो मध्य-काल में थी, वह आज के युग में न रही। हर युग की अपनी एक शिक्षण पद्वति होती है । उसी के अनुसार मनुष्य को शिक्षण मिलता है एवं अध्ययन करना होता है। मनुष्य के जीवन का विकास और उसके जीवन का उत्कर्ष, उसकी ज्ञान-साधना पर आधारित होता है।
सामान्य रूप में अध्ययन के अन्तरंग कारण हैं-बुद्धि, प्रतिभा, मेधा, कल्पना और स्मरण शक्ति। विषय को ग्रहण करने वाली शक्ति