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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
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श्री तुलसी गणी जी का मधुर मिलन आगरा (लोहामंडी) के जैन स्थानक में हुआ था । यह स्नेहमय एवं सद्भावपूर्ण मिलन बहुत ही अद्भुत और प्रभावक था । प्राचार्य तुलसी जी दिनभर - सायंकाल तक वहीं पर रहे । आहार पानी भी वहीं पर किया । दोपहर के समय कवि जी के साथ में तुलसी गणी जी की शास्त्र - सम्पादन के विषय में और धर्म, दर्शन एवं संस्कृति के विषय में विचार चर्चा होती रही । कवि जी की विद्वत्ता, उदारता और सहृदयता से ग्राचर्य तुलसी जी और उनका शिष्य परिवार परम प्रसन्न था । अचल भवन में कवि जी और तुलसी गणी जी का एक साथ में प्रवचन भी हुआ था । दोनों महान् आत्माओं का यह मधुरं मिलन समाज के लिए हर्ष और प्रसन्नता का विषय था ।
दिगम्बर समाज में गणेश प्रसाद जी वर्णी वहुत प्रसिद्ध व्यक्ति हैं । आप का अध्ययन गम्भीर और चिन्तन ऊँचा है । अभी वैशाख मास में कवि जी वंग-यात्रा में सम्मेद शिखर जाते हुए ईसरी गए थे । वर्णी जी भी आजकल यहीं पर रहते हैं । वर्णी जी ने कवि जी को अपने
श्रम में ही ठहराया था और कवि जी के प्रवचन भी कराए थे । कवि जी के प्रवचन सुनकर वर्णी जी और आश्रम के अन्य लोग बहुत खुश हुए थे । वर्णी जी के साथ में कवि जी की धर्म, दर्शन और समाज विषय पर विचार चर्चा भी हुई थी । जनता इस दृश्य को देखकर प्रसन्न थी ।
शरणानन्द जी वैदिक परम्परा के प्रसिद्ध संन्यासी हैं । विद्वान् और गम्भीर विचारक हैं । कवि जी के साथ में आपका अजमेर में और पुष्कर में मिलन हुआ था । शरणानन्द जी कवि जी के पाण्डित्य और अगाध ज्ञान से वहुत प्रभावित हैं । जहाँ कहीं पर वे कवि जी की उपस्थिति को देखते हैं, तो कवि जी से मिलने का पूरा प्रयत्न करते हैं । कवि जी में श्रौर शरणानन्द जी में जब कभी विचार चर्चा का अवसर आता है, तब खूब खुलकर होती है । कवि जी के जोधपुर वर्षावास में भी शरणानन्द जी आए हुए थे । कवि जी का और आपका एक साथ वहाँ पर प्रवचन भी हुआ था ।
बौद्ध परम्परा के भिक्षुत्रों के साथ भी कवि जी का खासा अच्छा परिचय है । भिक्षु धर्मानन्द अनेक बार कवि जी को मिलने आते थे । भिक्षु नागार्जुन तो शिमला- यात्रा में कवि जी के साथ में पैदल विहार