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व्यक्तित्व और कृतित्व
है। उनके जीवन के धरातल पर विश्वास, विचार और प्राचार का सुन्दर समन्वय हुआ है। उनका तपःपूत जीवन सत्य है, क्योंकि वह शिव है, और क्योंकि वह सुन्दर है ।
कवि जी मन से सरल हैं, बुद्धि से प्रखर हैं, भावना से भावुक हैं, विचार से दार्शनिक हैं , हृदय से श्रद्धा-शील हैं, प्रतिभा से तर्क-शील हैं, और जीवन से विवेक-शील साधक हैं । वे पुराने भी हैं और वे नये भी हैं। वे मृदु-मुख हैं, क्योंकि वे कभी किसी से कठोर वाणी का. प्रयोग नहीं करते । वे इतने सहिष्णु हैं, कि कभी भी अपनी पालोचनामों से परेशान नहीं होते। वे अपने मन्तव्य एय पर सदा निर्भय होकर आगे बढ़ते हैं, लौटना कभी उन्होंने सीखा ही नहीं। व्यक्तित्व का विचार-पक्ष :
कवि जी के व्यक्तित्व का विचार-पक्ष वहुत ही शानदार है। वे हिमालय से भी ऊँचे हैं, और सागर से भी गम्भीर । वे विचारों के ज्वालामुखी हैं, परन्तु हिम से भी अधिक शीतल । उनके विचारों में क्षणिक उत्तेजना नहीं, चिरस्थायी विवेक और गम्भीरता ही रहती है। जब किसी भी स्थिति पर वे विचार करते हैं, तव वस्तु के अन्तस्तल तक उनकी प्रतिभा सहज रूप में पहुँच जाती है। आज तक उनकी प्रतिभा और मेधा ने कभी उनके जीवन के साथ छलना नहीं की। सम्मुखस्थ व्यक्ति का तर्क जितना पैना होता है, कवि जी की बुद्धि उतनी ही अधिक प्रखर हो जाती है। विचार-चर्चा में उनकी वुद्धि ने कभी हार स्वीकार नहीं की। कवि जी अथ से इति तक विचारमय हैं। विचार करना उनका सहज स्वभाव है।
उपाध्याय अमर मुनि जी स्थानकवासी समाज के एक सजग, सचेत और सतेज विचारक सन्त हैं । वे कवि हैं, चिन्तक हैं, दार्शनिक हैं, साहित्यकार हैं और आलोचक भी । केवल शाब्दिक रचना के ही नहीं, किन्तु समाज, संस्कृति और धर्म के भी। उन्होंने अपनी पैनी दृष्टि से जिन सत्यों का साक्षात्कार किया, उनका खुलकर प्रयोग एवं प्रचार भी किया। वे सत्य को केवल पोथी और वाणी में ही नहीं, जीवन के धरातल पर देखना चाहते हैं। आकाश के चमकीले तारों की अपेक्षा धरती के महकते फूलों को कवि जी अधिक प्यार करते हैं।