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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व वात-चीत में नवनीत से भी अधिक मृदु, कुसुम से भी अधिक कोमल । तर्क में एवं विचार-चर्चा में कुलिशादपि अधिक कठोर, चट्टान से भी अधिक सुदृढ़ । व्यवहार में चतुर, परन्तु अपने विचार में अचल, अकम्प और अडोल ।
जीवन के सुपमामय अरुणोदय में गीतकार, जीवन के सुरभित वसन्त में कोमलकवि, जीवन के तप्यमान मध्य में दार्शनिक, विचारक समाज-संघटक और जागरण-शील जन-चेतना के लोक-प्रिय अधिनेता।
जो एक होकर भी सम्पूर्ण समाज है, और जो समाज का होकर भी अपने विचारों की सृष्टि में सर्वथा स्वतंत्र है। जो व्यष्टि में समष्टि है और समष्टि में व्यष्टि है। जो एकता में अनेकता की साधना है, और जो अनेकता में एकता की भावना है।
जन-चेतना के संस्मृति-पट पर जो सदा स्पष्ट, निर्भय निर्द्वन्द्व होकर आए। प्रसुन जन-चेतना को प्रवुद्ध करने वालों में जो सब से अधिक लोकप्रिय हैं, सव से अधिक सजग हैं ।
समाज-संघटन के सूत्रधार, संयोजक और व्याख्याकार होकर भी जो अपनी सहज विनय-विनम्र वृत्ति से वृद्धानुयायी रहे हैं। जो अपने से बड़ों का विनय करते हैं, साथी जनों का समादर करते हैं, और छोटों से सदा स्नेह करते हैं।
स्नेह, सद्भाव, सहानुभूति, सहयोग और समत्व-योग के जो अमर साधक हैं। अमर, अमर है । वह अपने जैसा आप है। शब्द-चित्र :
लम्बा और भरा-पूरा शरीर। कान्तिमय श्याम वर्ण । मधुर मुस्कान-शोभित मुख । विशाल भाल । चौड़ा वक्षःस्थल । प्रलम्ब वाहु । सिर पर विरल और धवल केश-राशि। उपनेत्र में से चमकते-दमकते तेजोमय नेत्र, जो संमुखस्थ व्यक्ति के मनःस्थ भावों को परखने में परम प्रवीण हैं। सफेद खादी से समाच्छादित यह प्रभावकारी और जादू भरा वाहरी व्यक्तित्व, आन्तरिक विशुद्ध व्यक्तित्व का अव्यभिचरित अनुमान है। सादा जीवन, उच्च विचार ।