Book Title: Agam Sagar Kosh Part 04
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ (Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-४) [Type text] बब्बरि- बर्बरदेशसम्भवा। ज्ञाता०४१। बलकुट्ट- बलकोट्ट-हरिकेशस्थानम्। उत्त० ३५४। बब्बरिय-चिलातदेशोत्पन्नो म्लेच्छविशेषः। भग० ४६० बलकूड- बलकूटं नन्दनवने नवमं कूटनाम। जम्बू. ३६७। बयर- बदरं कर्कन्धुफलम्। अनुयो० १९२। बलकोट्ट- हरिकेशभेदः। उत्त० ३५५। बलकोट्टः- बलकोट्टाबयरीवणं-बदरीवनम्। आव. ५१४१ भिधहरिकेशाधिपतिः। उत्त. ३५४। बयल्ल- बरट्टः। जम्बू० २४४। बरट्टी-धान्यविशेषः। जम्बू० बलदेव- वासुदेवज्येष्ठभ्राता। लक्ष्मणज्येष्ठभ्राता। प्रश्न १२४॥ ८७ महावीरमुख्यः। अन्त०२२ ज्ञाता०९९। २०७१ बरड- रूक्षम्। आव. ९० ऋद्धिपा-प्तार्यस्य तृतीयो भेदः। प्रज्ञा० ५५ बरहिण- बर्हिणः कलापवन्मयूराः। प्रश्न० ८मयूराः। चतुर्दशमतीर्थकरस्य पूर्वभवनाम। सम० १५४। आव० ज्ञाता० २६। २१०। रेवत्याः पतिः। निर०२९। बलदेवःबरहिणविंद-बहिणवृन्दः-शिखण्डिसमूहः। ज्ञाता० १६१| दवारावतीराजा। अन्त०१४। बल-देवः- गङ्गदत्तजीवः। बरहिणा- लोमपक्षिविशेषः। प्रज्ञा०४९। आव० २५८। बलदेवः। उत्त० ११८। बलदेवःबरुड-शिल्पभेदः। अनुयो० १५९। याचनापरीषहसोढा पुरुषः। उत्त०११७ सूत्र० ११ बी- मयूरः। जीवा० १८८ पुरुषोत्तमविशेषः। ज्ञाता०२० बल-शारीरसामर्थ्यविशेषः। प्रज्ञा०४६३। शारीरो वाचना- बलदेवघर- बलदेवगृहम्। आव. २०६। दिविषयः प्राणः। सूर्य. २९६। उवचियमंससोणिओ बलदेवपडिमा- बलदेव प्रतिमा। आव० ३०६। बलवं विरियंतरायखयोवसमेण वा बलवं। निशी० २९० बलदेवाः- बलदेवताः। स्था० ३३२॥ । शारीरम्। जीवा० २६८१ जम्बू. १०५। स्था० ३०४। बलद्द- बलीवईः। आव० १०३, ८२९। बृह. २८ अ। तृतीयवर्गे नवममध्ययनम्। निर० ३६। बलं बलवत् बलद्दसंघाडगो- बलीवर्दसंघाटकः। आव० ४१३। कष्टो-पक्रमणीयम्। प्रश्न. १५६। बलमदः यद् बलस्य बलभद्द- बलभद्रः-इक्कडदासाभिधचौरमुख्यः। उत्त० २६। मानम्। आव०६४६। वीतशोकराजधान्यां राजा। ज्ञाता० कमलश्रियः पुत्रः ज्ञाता० १२१। राजगुहनगरे १२१। बलं-शारीरः प्राणः। भग० ५७। शारीरम्। ज्ञाता० मौर्यवंशप्रसुतः श्रमणोपासको राजविशेषः। आव० ३१५ १४०। बलः-प्रभासपिता। आव० २५५) बलः-अष्टमः सुग्रीवनगरनृ-पतिः। उत्त० ४५१। नृपतिविशेषः। स्था० क्षत्रिय-परिव्राजकः। औप. ९१। सैन्यः। जम्बू. १९२ ४३०। सप्त-मवासुदेवनाम। सम० १५४। अलाभसहः। बलं-देहप्रमाणम्। भग. ३११। शारीरः-प्राणः। भग. मरण। ४६९। प्रज्ञा० ६००। जीवा० २१७। सूर्य० २५८। जम्ब०६२, | बलमित्त- उज्जेणीए राया। निशी० ३३९ आ। ज्ञाता० १३० सूर्य. २८६, २९२ प्रज्ञा० ८८ प्रश्न०७३। नीतिः १५२। प्रमाणं च। आव० ४६३॥ हस्त्यश्वादिचतुरङ्गम्। उत्त० । | बलव-सहस्रयोधो। निशी० १११ आ। बलवान्। आव. ३०७। शारीरः। सम० ५५ प्राणः। प्रश्न० ७४| चतुरङ्गम्। २७०| बलवान्-नवममुहूर्तनाम। सूर्य. १४९। जम्बू. स्था० १७३। उत्त० ४३८ शरीरसामर्थ्यम्। स्था० २३। ४९१। बलवान्-समर्थः। आचा० ३९३। बलः- अपरनामहरिकेशः। उत्त० ३५७ बलः-बलको- बलवग- बलवन्तः। प्रश्न०७४। दृहरिकेशसुतः। उत्त० ३५५) बलकथा राज्ञः बलवति पच्चतरायाणो- बलवत् प्रत्यन्तराजकं यतो बलसैन्यवाहना-दिसम्बन्धीविचारः। आव० ५८१। वन्तः- प्रत्यन्तराजानः। व्यव० २४४ अ। राजकथायासटतीयो भदः। आव० ५८१| बलवती- निवर्तयितुमशक्या। प्रश्न. १७ हस्तिनागपुनगरे राजा। भग० ५३५। बलः बलवाउय- बलव्याप्तः-सैन्यव्यापारपरायणः। औप०६११ महापुरनगरनृपतिः। विपा. ९५। संहननविशेषसमत्थः सैन्यव्यापारवान्। ज्ञाता० १४९। प्राणः। निर० १। राज० १९८१ ज्ञाता०७। सारीरं। निशी० | बलवाहणकहा- बलं-हस्त्यादि वाहन-वेगसरादि तत्कथा १८ अ। बलवाहनकथा। स्था० २१० मुनि दीपरत्नसागरजी रचित [14] "आगम-सागर-कोषः" [४]

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 246