Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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२५
श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम्
अद्धंगुलं
मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्रादि
३५८ अपजत्तय २१६६,१३तः१८], अप्पाबहुं १०५गा.८,१२२गा.९, ०-अद्धा १२७,१५४,
३८६२,३] १३०,१४९ गा. १० १९५१-३,२०२४२-३] अपज्जत्तय० २१६/६,७,९तः१२],
१९० गा.१५,१९८ ०-अद्धाओ
५३२
३५११३],३८५[१-४] अप्पाहेति ४९२[४] गा.१२१ अद्धापलिओवम० ३८०,३८२
३८६[१],३८७२-४] | अप्पे
३३८,३५७,३६२ अदापलिओवमं ३७९
३८८[३] अप्फुन्ना ३९४,३९६,५०८ अद्धापलिओवमे ३६९,३७७, अपज्जत्तयाणं ३४९[१-२], अबीयवावए
२६५ ३८०,३७९ तः ३८१,३९१[९] | ३५०[१-३],३५१४२-४], अब्भ० अद्धासमए १३२,१३३,
३८५[१-५] अब्भरुक्खा २४९गा.२४ २१६[१९],२१८,२५० अपज्जत्ता २१६[१०] अब्भस्स ४५३गा.११८ २६९,२९२,४०१ अपडिवाइ
४७२ अब्भहियं ३९०[१-२] अद्धासागरोवमस्स ३७९गा.१०९, अपयाणं १९,८२,५६७ |-अब्भहियं
३९०[१] ३८१,गा.११० अपराजित
३९१[९] | अब्भा
२४९गा.२४ ०-अद्धासु ___ ५३२ अपराजियए २१६[१८] अब्भास २६२[७] गा.७४ अनिष्फण्ण
४५५ अपरिग्गहियाणं ३९२-३]|-अब्भासो १३४,१३८,१६३ -अन्तर्गतम् ४४७गा.११७ |अपवारि
१६७,१७१,१७५,२०१[४], अन्नमन्त्र० १६३,२०४[४] अपसत्थे ८९,९०,२७९ २०२[४],२०३[४],२०४[४], २०५[४],२०६[४]
२८१,५७९ २०५[४],२०६[४],२०७[४], २०७[४] अपायाणे २६१गा.५८,
५१० तः ५५१९ अन्नमन्नब्भासो १३८,१६३
२६१गा.६१ अभिंतर
३२० २०४[४], २०५[४] अपुव्वो २६२[४]गा.६८ अब्भुओ २६२४१] गा. ६३, २०६[४],२०७[४] ०-अपेक्षया
३२८
२६२[४] २६२[४]गा.६९ अप्प-०
३६६ अब्भुतो २६२[४] गा. ६८ अनो ५९९गा.१३० अप्पडिहय०
अब्भुतरं . २६२[४]गा.६९ अपए
८२ अप्पणो ३३४,३३६ अभवसिद्धिएहिं ४१३ अपएसठ्याए ११४[२-३], | अप्पसत्थं
| अभवसिद्धिया १५८[२-३] | अप्पसत्था ५९०,५९२
५१७तः५१९ अपजत्तए । २१६[४] अप्पसत्थे
५७७ अभिई
२८५गा.८८ अपजत्तग० ३५१४२-३], अप्पा ११४[१],१५८[१] अभिगमणत्थाए ६०५ ३५२[३],३८२[२]]
५९९गा.१२७ अभिणंदणे २०३[२] अप्पातंके
३६६ अभिमुहणामगोत्तं ४९१
अन्नं
२५०,
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