Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 418
________________ ६४ दुसहस्सं ३०३ २७७ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् मूलशब्दः सूत्रातादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि ६०६गा.१४२ | देस-० १५३[१],१५५[१], | दोनिान०] ११०[२],१२६, दुहण ३६६ | देस-० १९३,३८४[२] दोनिान०] ३९१२] दुंदुभित्थणियघोसा ४९२[२] देसपदेसो ४७६ | दोस २६२[१०]गा.८२ गा.११९ | देसा ४०१ -दोसा २६०[१०]गा.४७ दूसमए २७८ | देसूणं १५३[१],३८४[२] ०दोसे २४१,२४४ दूसमदूसमए २७८ | देसूणाई ३८४[२] | दोसे २६०[१०]गा.४६ दूसमसुसमए २७८ | देसूणे १५२[१],१९३ | दोस्सिए देअहे ३०४ | देसे ६८,४७६ | द्वारम् देती २६०[५]गा.३५ / ०देहं १९,३७,४८५, धणाणि २६०[५]गा.३३ देयरं २६२[८]गा.७७ ५४१,५५२,५६३,५८५ धणिट्ठा २८५गा.८८ देवकुरा ४७५ | दो ५७[१],१९५[३], | धणु ३३२गा.९५ देवकुरु० ३४४ १९६[२],३२२,३३५,३५९, धणु० ३५१[३-४],३५१[५] देवकुरुए ३६७,४७६,४८३[१] गा.१०१ देवकुल० ३३६ | दो० ५०७ धणुएण ३२४ देवकुलं २० | दोस्त्रिी०] २८५गा.८६, धणुप्पमाणेणं देवत २८६ २८५गा.८८,३१८,३२०, धणुसतं देवदत्तस्स ४७५ ३३५,३४७[४-५], धणुसयं ३४७[५] देवदत्तो २१४ ३५५[४],३५९,४८३[१] धणुसयाई ३४७[१,६] देवय २८४गा.८५ | दोन०] ३२२,३३५, धणुसहस्सं ३४७१,६] देवयणामे २८६ ३६७,३९१३-५],४१५ धणुसहस्साई ३३५,३४५,३५९ देवयाहिं २८६ | दोणपागं २७१गा.८४, | धj ३२४गा.९४ देवस्स ४४६गा.११६ धणू ३२४गा.९३ ०देवाउए २४४ | दोणमुह २६७,४७५ ३३५,३४५,३५९ देवाणं ३९०[१-६, | दोणिए ३३४ धणइं ३४७[२-५] ३९१[१-६-८-९] दोणो ३१८ धणूसयाई ३४७[६] देवाणं ३४६,३५५ दोण्णि १५[१],१०७[२], धणे ४७६ [१,३-५],२३८,४९२[३] १२१,१२३तः१२५, धण्णमाणप्पमाण ३१९ देवीणं ३८४[१,३],३८९, १२७तः१३०,१५०,१५१, धण्णमाणप्पमाणाओ . ३२० ३९०[१-६],३९१[१-३] १५४,२६०[१०]गा.४६, धण्णमाणप्पमाणे- - ३१८ २१६[३,१३],२३७ ३८४[२],५०८ धण्णमाणप्पमाणेणं १६९गा.१४ दोण्हं ३५११५]गा.१०१ धण्णा २६२[७]गा.७५ ३४५ ५०८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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