Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 525
________________ १७१ ... C = 74 श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य अष्टमं परिशिष्टम् - विश्वप्रहेलिकानुसारेण E 48 - 7 The integration is from z = 0 to 22 = 7 a .. volume v = 4 ∫' 0 = 4 A [ - Cz - Ez2 1 3 2 Putting the values of A and C we get, 74 V = 231 - 6 E 2 - 30 If E = 73 V = 196 Thus the value of V depends upon E; for different E, the volumes can have different values. The volume of Adholoka is 196. From the above equation, we see that - , Jain Education International Cz2 - Ez) dz - Thus we have found the equation of the curve, which passes through the corresponding points on the squares. The equation is given by 196x2 + 16z2 + 30z = 2401. In the same way we can find out the equation of the curves making the Urdhvaloka. The Urdhvaloka should be divided into two equal halves, each having the volume 147 147. Then we have the equation 28x2 + 192z2 144z = 7 - and 196x 2 + 192z 2 - 336z = 1225 representing the lower and upper halves of the Urdhvaloka respectively. इस प्रकार लोक का आकार मानने पर ३४३ घन रज्जु का आयतन सम्भव हो सकता है । ऊपर निकाले गये आकार में यह माना गया है कि वक्ररेखा एक "Conic' है । इससे लोकाकृति की एक सम्भावना प्रकट होती है। यदि हमारे पास लोक के विषय में अन्य कुछ एक पहलुओं की जानकारी होती, तो हम इसका निश्चय दृढ़ता के साथ कर सकते । दृष्टलोक एवं वर्गितलोक के खण्डूकों की सहायता से सम्भवतः हमें एक मार्ग मिल सकता है, यदि दृष्टलोक और वर्गितलोक का वास्तविक गाणितिक प्रतिपादन किया जा सके। दृष्टलोक के खण्डूकों की संख्या ८१६ मानी गई है तथा वर्गितलोक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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