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... C = 74
श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य अष्टमं परिशिष्टम् - विश्वप्रहेलिकानुसारेण
E
48 - 7
The integration is from z = 0 to 22 = 7
a
.. volume v = 4 ∫'
0
=
4
A [
-
Cz - Ez2 1
3
2
Putting the values of A and C we get,
74
V = 231 - 6 E
2 -
30
If E = 73 V = 196
Thus the value of V depends upon E; for different E, the volumes can have different values. The volume of Adholoka is 196. From the above equation, we see that
-
,
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Cz2 - Ez) dz
-
Thus we have found the equation of the curve, which passes through the corresponding points on the squares. The equation is given by
196x2 + 16z2 + 30z = 2401.
In the same way we can find out the equation of the curves making the Urdhvaloka. The Urdhvaloka should be divided into two equal halves, each having the volume 147
147.
Then we have the equation
28x2 + 192z2
144z = 7
-
and 196x 2 + 192z 2 - 336z = 1225
representing the lower and upper halves of the Urdhvaloka respectively.
इस प्रकार लोक का आकार मानने पर ३४३ घन रज्जु का आयतन सम्भव हो सकता है । ऊपर निकाले गये आकार में यह माना गया है कि वक्ररेखा एक "Conic' है । इससे लोकाकृति की एक सम्भावना प्रकट होती है। यदि हमारे पास लोक के विषय में अन्य कुछ एक पहलुओं की जानकारी होती, तो हम इसका निश्चय दृढ़ता के साथ कर सकते । दृष्टलोक एवं वर्गितलोक के खण्डूकों की सहायता से सम्भवतः हमें एक मार्ग मिल सकता है, यदि दृष्टलोक और वर्गितलोक का वास्तविक गाणितिक प्रतिपादन किया जा सके। दृष्टलोक के खण्डूकों की संख्या ८१६ मानी गई है तथा वर्गितलोक
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