Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 479
________________ चू०५२ १२५ __ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य , परिशिष्टम् णाभिसमुत्थो तु... ... चू०३०५,हा०३०८ | दव्वाओ असंखेज्जे ... ... हे०५१७ णिक्खेवेगट्ठ निरुत्त विही [कल्पभा० १४९, | दसपाणपरिच्चत्त ... ... दशवैकालिकनि० ५]... ... हा०१८, हे०१९ | दिग्भागभेदो यस्यास्ति... ...[विंशतिका णेगम संगह ववहारे... [आवश्यकनि०७५४] विज्ञप्तिमात्रतासिद्धिः १४] हा०,हे०१५३ हा०४६,हे०४८ | दिह उपचये [पा०धा० १०८५, तत्थोदारमुरालं उरलं ... ... हा०४४८ का०धा० श६२] हे०५६ तत्पुरुषः समानाधिकरण:... [पा०१।२।४२] दृष्टान्ते सदसत्त्वाभ्यां ... ... हे०५०५ हा०३४३,हे०३५० देसकुलजातिरूवी संघयण-.... [कल्पभा० २४१] तत्र जात: [पा० ४।३।२५] हा०३४२,हे०३४८ हे०२० देहा-ऽऽगम-किरियाओ ... ... तदस्य पण्यम् [पा०४।४।५१ ] हा०३४३,हे०३५० चू०हा०३६ दो य सता छण्णउया,... ...चू०४७७,हा०४८१, तद्धितार्थोत्तरपदसमाहारे च[पा०२।१।५१] हा०३४३ हे०४८६ तवसंजमो अणुमओ ...[आवश्यकनि० ७८९] दोहिं वि णएहिं... [सन्मति०का०३,गा०४९, हे०६१६ विशेषावश्यकभा०२१९५] हा०४७,६२७ तस्माजगाद भगवान्... ... हा०११२,हे०११४ द्विवचनमनौ [कातन्त्र० १।३।२ ] तात्स्थ्यात् तद्व्यपदेशो ... ... हा०१२१ चू०हा०हे०२७४ तिण्णि वि दव्वाऽणता,... ... चू०१४९ चू०१४९ | धम्मत्थिकाए, धम्मत्थिकायस्स... ... तिण्ह सहस्सपुहत्तं ... ... [प्रज्ञापनासूत्रे प्रथम पदे सू०३] [आवश्यक नि०८५७] हे०६१७. - चू०१९९,हा०२०० तिण्ह सहस्समसंखा... धम्मा-ऽधम्मुवएसो कया-ऽकयं... ... हे०५८३ [आवश्यकनि०८५८] हे०६१७ | धम्मो मंगल [दशवै० १११] हा०६१३ तित्त-कटुभेसयाइं मा ...[कल्पभा०२८९] हा०४२ धम्मो मंगलमुक्छ8 [दशवै० १११]... हे०६२१ तुल्लं वित्थरबहुलं ...[जिनसंग्र०१७६] हा०२५२ धीतुल्लिगादि... ... हा०३१ तेरेक्कारस नव सत्त पंच... ... धुट्स्वराद् घुटि नुः [कातन्त्र०२।२।११] हे०२७४ [बृहत्संग्रहणी० २५३] हे०४०१ धूमादेर्यद्यपि ... ... हा०५०२,हे०५०५ तेषां कटतटभ्रष्टैगजानां मदबिन्दुभिः हे०३३१,६१९ ध्रुवमपायेऽपादानम् [पा० १।४।२४]... हा०३१७ तेसीति सतसहस्सा,... ... चू०४७९,हा०४८३ ध्वांक्षेण क्षेपे [पा०२।११४२] हा०३४३,हे०३५० __ हे०६३६ त्यागो गुणो ... नए समोयारणाणुमए हे०३२६ दव्वं सत्थ-ऽग्गि-विसं... ... नत्थि नएहिं विहूणं [आवश्यकनि०७६१]... ... हे०४८ [आचाराङ्गनि०गा०३६] हा०३८८ | न नया समोयरंति इह [आवश्यकनि०७६२] ... दव्वाइचउन्भेयं पमीयए... ... विशेषावश्यकभा० ९४६] हे०५९२ | हे०६३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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