Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 483
________________ १२९ सव्वं सुन्नं ति जयं... सव्वगयं सम्मत्तं सुए... [ आवश्यकनि० ८३०] ०६१६ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य षष्ठं परिशिष्टम् ... हे०५८३ | सुपां सुलुग्... [ पा० ७/१/३९ ] हा०३९ सुबहु पि सुतमहीतं किं ... [आवश्यकनि०९८] हा०६३१, हे०६३९ हे०६३४ सव्वस्स उम्हसिद्धं, ससमय-परसमयविऊ.... [कल्पभा० २४४] हे०२० हा०४९७, हे०२७२ हे०९४ सहवर्तिनो गुणा:,... सहसिद्धं चतुष्टयम् सागरमेगं तिय सत्त ...[बृहत्सं० २२३] हे०४४१ सामाइयं च तिविहं संमत्त... Jain Education International चू०४४५,हा०४४९ | सुयनाणे य नेउन्नं... [ आवश्यकनि० ७३६ ] हे०६१६ सामायारी तिविहा ... [आवश्यकनि०६६५] हे०२५५ सामायिकं गुणानामाधारः... ...हा० ११२, हे०११४ सिद्धा १ णियोयजीवा २,... चू०५७१, हा०५७२, हे०५७४ [विशेषावश्यकभा० १००१] हा०६१३, हे०६२३ सुत्तत्थो खलु पढमो [आवश्यकनि०२४]... सुत्तप्फासियनिज्जुत्तिणिओगो... [विशेषावश्यकभा०१०१०] हा०६१३,हे०६२३ हे० २० यह दुखे सुहपडिबोहो निद्दा *** For Private & Personal Use Only ... [निशीथभा० १३३] सुमो य होति कालो,... [आवश्यकनि०३७] सेसा य तिरिय-... सोऽस्य निवासः [ पा०धा० ४ | ३ |८९ ] हा० ३४२, हे०३४८ हा०२५४ हा० २८८, हे०२९४ ... स्वृ शब्दोपतापयोः [ का० धा० १/२७१ ] ... हन्त सम्प्रेषण- प्रत्यवधारण- विवादेषु... हयं नाणं कियाहीणं [ आवश्यकनि० १०१] होति कयत्थो वोत्तुं .. [विशेषावश्यकभा० १००९] चू०४८० हा०४३७ हे० ३१० हा०३८८ हे०६४१ हा०६१३ www.jainelibrary.org

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