Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१२७
हा० २५४, हे०२५६] पुव्वस्स उ परिमाणं ...[जिन०संग्र० ३१६] हे०२४७ पुव्वाणुपुविट्ठा चू०१८६, हा०१८७, हे० १८९
चू०१८७
पुव्वाणुपुव्वीइच्छित,... प्रकृति- स्थित्यनुभाव- प्रदेशास्तद्विधयः
[तत्त्वार्थे ८४] प्राणी प्राणिज्ञानं...
प्राप्तराज्यस्य रामस्य
फेनपिण्डोपमं रूपं ...
बंधच्छेदत्तणतो,.. बहुतरओत्ति य...
श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य षष्ठं परिशिष्टम् ·
[विशेषावश्यकभा० २२२१]
बाह्यार्थालम्बनो यस्तु भण्णइ य तहोरालं...
भणति ह
भमरादिपंचवण्णादिणिच्छए जम्मि
[विशेषावश्यकभा० २२२०] भागहितलद्धठवणा,...
भावरहितम्मि दव्वे,...
भावाभिख्याः पञ्च...
[पा० धा०१-५] मज्झणुभावं खेत्तं जं
मणुयाण जहण्णपदे,...
...
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हा०६१३
हा०५८१
हा०३९
हा०५८१
चू०५२, हा०५४
...
भाविनि भूतवदुपचारः [ कातन्त्रपरि० ]
भावो विवक्षितक्रिया...
***
हा०६२८
हे०३२६
हा०४४८
चू० १४८
भू सत्तायाम् [पा०धा० १]
भूतस्य भाविनो वा .... हा० ३६, हे० ३७, ५८, ६५ चू०३४१ भू सत्तायां परस्मैभाषः [पा०धा० १] हा० ३४४ भू सत्तायां परस्मैभाषा[ षः ] ...
हा०६२८
चू०१८७
चू०हा० ३४
हे० १२५
हे०६२
हे०७३
सू०३३९
चू०२१५,
हा०२१६, हे०२१७
चू०४७८, हा०४८३
महखंधापुन्ने वी,... माणुस्स खेत्त जाई कुलरुवारोग्ग
[ आवश्यकनि० ८३१] मिदु-मधुर-रिभिय-... मूढनइयं सुयं कालियं तु ...
मूढनयं तु न संपइ...
चू०१९९, हा०२००, हे०२०३
[ आवश्यकनि० ७६२ ] हे०५९२, हे०६१६
[विशेषावश्यकभा० ९४९]
हे०६१६
चू०३२१, हा०३२३
यत्तु तदर्थवियुक्तं
यद् वस्तुनोऽभिधानं रक्तदोषं कफं पित्तं रूपिष्ववधेः [ तत्त्वार्थ ०१।२८] रोलम्ब - गवल - व्याल - .... लक्ख कोडाकोडीणं
...
...
मोहस्सेवोवसमो
यती प्रयत्ने [का०धा०३१४, पा०धा०३०]
...
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...
हा० २७५
हा०३१, हे०३२, ३४८ ... हे०२७, हा०२८, २५९ हे०२७०
०५९२
हे०२९३
चू०५१६, हा०५१६ हे०५०६
चू०४७७, हा०४८२, हे०४८६
लक्खाइं एक्कवीसं...
चू०४७९, हा०४८३
ला आदाने [ पा०धा०१०५८] चू०३४०, हा० ३४१ लेप्पगहत्थी हत्थि...[आवश्यकनि०१४३३] हा०३२
...
लोगागासपदेसा १, .. चू०५६३, हा०५६५ हे०५६९ लौकिक-परीक्षकाणां . [ न्यायसू० १/१/२५] हा०५५ वइसाहसुद्धएक्कारसीएँ ... [आवश्यकनि० ७३४]
हे०६१५
हा०३८९
aisiतसरीराणं
वस आच्छादने [पा०धा० १०२३,
का०धा० ४/४७ ]
वस निवासे [पा०धा० १००५, का०धा० १/६१४]
चू०८०
हा०, हे०२६
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