Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 502
________________ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य अष्टमं परिशिष्टम् - विश्वप्रहेलिकानुसारेण १४८ नीचे से ऊँचाई (खण्डूकों में) लम्बाई और चौडाई (खण्डूकों में) ०-४ वर्ग घनफल (वर्ग-खण्डूकों में) (घन-खण्डूकों में) ७८४ ३१३६ ६७६ २७०४ ५७६ २३०४ ४०० १६०० २५६ १०२४ १०० ४०० ६४ ३६ ६४ ६४ ४-८ ८-१२ १२-१६ १६-२० २०-२४ २४-२८ २८-३० ३०-३२ ३२-३३ ३३-३४ ३४-३६ ३६-३८ ३८-४० ४०-४२ ४२-४४ ४४-४६ ४६-४९ ४९-५२ ५२-५४ ५४-५६ १०० २८८ ५१२ ८०० १०० १४४ २५६ ४०० ४०० २५६ १४४ १०० ८०० ५१२ २८८ ३०० १९२ ७२ Mm कुल १५२९६ ऊपर दिये गये कोष्टक से यह स्पष्ट हो जाता है कि समग्र लोक ५६ लम्बकोणीय समानान्तर षट्-फलक (Rectangular paralleopiped) में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येककी लम्बाईचौडाई भिन्न भिन्न है और ऊँचाई १ खण्डूक है (चित्र नं. १०) । प्रत्येक का घनफल अपनी-अपनी लम्बाई, चौड़ाई व ऊँचाई के गुणनफल से निकाला गया है। इन सभी लम्ब-कोणीय-समानान्तर षट्फलक के घनफलों का योग १५२९६ घन खण्डूक होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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