Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 477
________________ १२३ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य " परिशिष्टम् एमेते पण्णरस हे०३०१ | केवलिउग्घातो इव,... ... चू०२००,हा०२०१ कज्ज करणायत्तं,... ... चू०३०५,हा०३०८ क्रियैव फलदा पुंसां, ... ... हा०६३१,हे०६३९ कज्जम्मि समुप्पण्णे... ... हा०४४८ क्रुध कोपे... ... [पा०धा० ११८९]... हा०२८८ कटुर्गलामयं शोफ ... ... हे०२७० खंधो त्ति सत्थनामं ... ... चू०२३,हा०२५ कमभिन्नवयणभिन्नं...[आवश्यकनि०८८२] हे०६१८ खंधो नियमऽज्झयणा,... ... चू०२३ कम्मविगारो कम्मणमट्ठ-... ... हा०४४९ खद खट्ट संवरणे [का०धा०९/२३ ] हे०२५५ करेमि भंते ! सामाइयं... ... चू०६१२ खित्तमरूवं निच्चं...[विशेषावश्यकभा०९२४] हे०१२१ कर्म चास्ति फलं चास्ति... ... हे०६१९ खीणं खवित विणटुं,... ... चू०२८५ कर्मण्यण [ पा० ३२।१ ] हे०६ | खीरमिव रायहंसा... ...[कल्पभा०३६६] हे०२१ कह ण वि दविए... ... चू०१९९,हा०२०१ खेत्तदिसकालगइभवियसण्णिउस्सासदिट्ठिमाहारे... कारणमेव तदन्त्यं ... ... हे०३८९ [आवश्यकनि०८०४] चू०हा०३४ कालकतोऽत्थ.. ... हे०६१६ कालमणंतं च सुए ... [आवश्यकनि० ८५३] । गणिमं धरिमं मेज्जं ... ... हा०६१,हे०६३ हे०६१७ | | गावीहिं समं निग्गम... ... हा०६७,हे०६९ कालजतिच्छविदोसो... [आवश्यकनि०८८३] गिण्हइ य काइएणं णिसरति ... ... _हे०६१८ | [आवश्यकनि० ७] हा०५१४ कालपदेसो समयो,... ... चू०२२८,हा०२३० | गीयत्थो य विहारो ... ... [कल्पभा०६८८, काश दीप्तौ [का०धा० ३।१०५, ओघनि०१२१] हा०६३०,हे०६३८ पा०धा०६९०,१२३८]... चू०१८०,१८१ | गुणदोसविसेसण्णू...[कल्पभा०३६५] हे०२१ किंचिम्मत्तग्गाही... ...[कल्पभा०३६९] हे०२२ | गुणवचनब्राह्मणादिभ्यः कर्मणि च किरियागमुच्चरंतो आवासं ... चू०हा०५०,हे०५१ पा० ५/१।१२४] हा०१२९ किरियाऽऽगमो न... ... हे०७६ | गुरुचित्तायत्ताई वक्खाणंगाई ... ... कुट कौटिल्ये [पा०धा०१४५४] [विशेषावश्यकभा०९३१] हा०१२४,हे०१२७ चू०६२५,हा०६२९ गुर्वायत्ता यस्माच्छास्त्रारम्भा... हा०१२४,हे०१२६ कृ अभ्युपगमे ... ... हे०६९ चू०६१२ गृहाश्रमसमो धर्मो ... ... कृत्यल्युटो बहुलम् [पा० ३।३।११३] हे०५ गोय[म]माई सामाइयं तु ..[आवश्यकनि० ७४५] हे०६१५ कृत्स्नकर्मक्षयात् मोक्षः [तत्त्वार्थे १०।३] ... ... हा०६१३ गोशब्दः पशु-भूम्यंशु-... ... हा०५४३,हे०५४४ कृष्णादिद्रव्यसाचिव्यात् ... ... हा०७८ | घट चेष्टायाम् [पा० धा० ८१२] केवलनाणि त्ति अहं ...[आवश्यकनि० ७५०] चू०६२५,हा०६२९,हे०६३५ हे०६१५ | घम्मा १ वंसा २... ... चू०२१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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