Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम्
मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि समोयारे ९२,९८,१०४[१], | सयवग्ग ४२४[२],४२५[२]| सराणं
२६०[२], समोयारे ११५,१२१,१४२, | सयसहस्सं
२०४[२]|
२६०[५],२६०[६] १४८,१८९,५२७, ०सयसहस्सं
५०८ सरिसवा
३७९ ५३०[१-२],५३१तः५३३ / ०सयसहस्साई २०४[२], |सरिसवो
४६० ०समोयारेणं ५३०[१-२],
३६७,५०८ ०सरिसं
४६२,४६६ ५३१,५३२ २०४[२],३६७ ०सरिसे
२० समोसरणं २६६ सयंभुरमण
४७५ सरीर०
१७,१८,३७,३८, सम्मजण
२१ सयंभुरमणे १६९गा.१४,१७० २६२[७]गा.७५,४८५, सम्म? ३७२,३७४,३९६ सयाणि ३६७गा.१०६
४८६,५४१,५४२ सम्मत्तलद्धी
२४१ ०सयाणि ६०६गा.१४२ सरीर-० ३४६,३४७[१-४,६], सम्मत्तं २५३,२५५,२५७,२५९, | सर
४५१,४५५
३४८[१],३४९[१-२], २६०[११]गा.५६, | सर०
३३४गा.९८ ३५२[१],३५५[१,४-५], ३१२,५२० | सरट्ठाणा
२६०[२],
३७४,३८१,३९६ सम्मत्ताई ६०६ २६०[२]गा.२७ | सरीर
२४४ सम्मइंसणलद्धी २४७ सरण
३३६ सरीरए
३५५[४-५]] सम्मामिच्छादसणलद्धी २४७| सरदए
२७८ | सरीरगं
५६३ +सम्मुच्छ ३८७[५]गा.१११ / सरपंतियाओ ३३६ सरीरयं १७,३७,४८५, +सम्मुच्छिम ३५१[५]गा.१०१ सरमंडलम्मि २६०[१०]गा.५३ | ५४१,५५२,५८२,५८५ सम्मुच्छिम २१६[९-१२], सरमंडलं २६०[११]गा.५६ सरीरं
२३८ __ ३८७[२-४] सरलक्खणा २६०[५] सरीरा
४०५तः४०७, सम्मुच्छिम० २१६[९-११], | सरसरपंतियाओ ३३६ | ४०८[१,३],४११,४१२ २५१४२-४],३५२[२], सरं २६०[२]गा.२६, ०सरीरा
४२०[२] ३८७[२-४] २६०[३]गा.२८,२६०[३] गा.२९, सरे
२६०[१]गा.२५ सम्मुच्छिममणुस्साणं ३८८[२]] २६०[४]गा.३०,२६०[४]गा.३१ | सलागा सम्मुच्छिममणुस्से २१६[१२] सरं- २६०[५]गा.३८ | सलागाणं
५१८ सम्मुच्छिमा २१६[१०] सरा
२६०[१], | सलिलं
४४७ सम्मुच्छिमाणं ३५१[४] | २६०[१]गा.२५,२६०[३], | सवण
२८५गा.८८ सम्मोह० २६२[५]गा.७० २६०[४],२६०[१०]गा.४४,
ज्जुया
४५३गा.११८ सयणाणि ___ २६०[५]गा.३३) २६०[१०]गा.५०,२९८,३३६ सविया २८६गा.८९ सयणे ___५९९गा.१३२ सरा २६०[१०]गा.४३, सविसेसं ३७२,३७४,३७९, सयराह(दे०]
२६०[११]गा.५६
३८१,३९४,३९६
५०८
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