Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 451
________________ २७ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् २२० २२५ ३६० ३०३ ४१३ | सिंगेणं मूलशब्दः । सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि सिक्खिस्सइ १८,६० सिलोए ३०२गा.९२ सुए ३१,३२,३५,३७,३८ सिक्खिस्सति ३८,४८६, सिलोगसंखा ४९४ सुक्कालेसे] २३७ ५४२,५८६ सिलोयनाम ३०५ सुक्काणि ४५५ सिक्खेस्सइ | सिवस्स __ २१ सुक्किलवण्णनामे सिणए २९१ | सिवा २६७/०सुक्किला सित्थेण २७१गा.८४, | सिस्सिणियाणं ५७२,५७४ | सुकिल्ल ४३० ४४६गा.११६ सिहरी २२६गा.२१/ सुदुत्तरमायामा २६०[९]गा.४२ सिद्धत्थएहिं ५०८ सिहरीणं | सुणह ६०६गा.१३६ सिद्धत्थय २० सिहा ३२० सुत० ३७ सिद्धत्थयाणं ५०८ सिहाए ४४६ सुतिक्खेण ३४३[५]गा.१०० सिद्धसिला० १७,३७ / सिही २७१गा.८३ +सुत्त ५१गा.४ +सिद्धत ५१गा.४ सिंगारो २६२[१]गा.६३, सुत्तप्फासियनिजुसिद्धतेणं २६९ २६२[३]गा.६६,२६२[३] त्तिअणुगमे ६०२,६०५ सिद्धा ३४३[५]गा.१००,४०४ | सिंगी २७१गा.८३ सुत्तवेतालिए सिद्धाणं ४४६ सुत्तस्स ४७० २४४ सिंघाडग ३३६ सुत्तं ४०,६०५ . सिद्धेहिं ४१६ | सीत २२५ सुत्तागमे ४७०,६०१ +सिप्प ३०२गा.९२,३६६ सीतफासणामे २२३ सुत्तालावगनिष्फण्णे ५३४,६०० सिप्पनामे ३०४ | सीतले २०३[२] सुत्ते ५१गा.४ सिय ४२३[१,३] सीभरंदे०] २६०[१०]गा.४९ सुद्धगंधारा २६०[९]गा.४१ सिया ३४३[३],३६६,३७२, सीय ३३६/ सुद्धसज्जा २६०[७]गा.३९ ३७४,३७९,३८१, सीयलो २६७ सुद्धा २६२४१०]गा.८२ ३९४,३९६,३९७, सील० ४४७ | सुपासे २०३[२] ४१५,४७६,५०८ सीसपहेलियंग० ३६७ सुप्पए २९० सिया ४२०[३],४२३[२] सीसपहेलियंगे २०२[२], सुभ-० २४४ सिर २६०[१०]गा.४९ ३६७,५३२ ०सुभनामे २४४ सिरिवच्छंकिय सीसपहेलिया २०२[२], सुभासुभणामवच्छा ४९२[२]गा.११९/ ३६७,५३२ कम्मविप्पमुक्के २४४ २२६गा.२२ सीसाणं ५७२,५७४ सुभासुभवेयणिजसिरीयं २६२[१०]गा.८१ / ०सीसाणं ४७० कम्मविप्पमुक्के २४४ सिल ३२९,५६८ सीहं ४४६ सुभिक्खे ४५२ सिद्धे सिरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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