Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 417
________________ ६३ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् दिहिया मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि दिप्पए ५५७गा.१२६ दुनामे २१३,२१६[१], दुवालस ३३४,३५९ दिप्पंति ५५७गा.१२६ | दुनामे २१६[१९] दुवालसंग ५०,४६९ दिवस० ३६५गा.१०३ दुपए ८० | दुवालसंसिए ३५८ दिवसे २०२[२] | दुपएसिए ६३,९९,१०३,१३६, दुविहं १३,२३,३४,४६,४८, दिसा[कुमारे] २१६[१३]] १३७,२१६[१९],२४९,३१५ ४४९,४९१,५२५[२] दिसादाघा २४९ दुपएसिय-० ६७ दुविहा ९५,९७,१३९,१४१, दीव० ३७५,३७६,४७५,५०८, | दुपएसिया ९९,११६, १८०,१८२,३४७[१-४,६], ५५७गा.१२६ १२०,४०३ ३४८[१],३५५[१],३९९, दीवाकुमारे] २१६[१३] दुपएसोगाढा १४३ ४००,४१३तः४१७,४१८ दीवा ५५७गा.१२६ दुपएसोगाढाई १४७ [१-३],४१९[२-३],४२० दीवाणं ३६० दुपएसोगाढे १४३,१४७, [१-३],४२१[१],४२२[२], दीवे ५०८,५३१ १७७,३३१ ४२३[१-३],४२४[२-३], दीवेंति ५५७गा.१२६ दुपदेसिए १०३ ४२५[२],४२६[२],४८१, दीवो ५५७गा.१२६ दुपदेसिया ४९३,५२५[२],५४४,५४९, ३३६,४५१ +दुपय २७१गा.८३ ५५५,५८२,५८८,५९०, ३६४ दुपयं ४४६ दुविहे ५६,६९,७८,८७, २४४ दुपयाणं ७९,८०,५६७ ८९,२१०,२१३,२१६[१], दुक्खक्खयट्ठाए ६०६गा.१४३ | दुप्पभिति ४९७ २३४,२३६,२३९,२४२, ५९९गा.१२९ दुब्बलयं २६२[९],गा.७९ २४५,२४८,२७९,३१४, दुगसंजोगा २५१,२५२ दुभिक्खं ४५६ ३१७,३३०,३४०,३६३, दुगुणकक्खडे २२५ दुभो २२६गा.२१ ३६८,३७०,३७७,३९२, दुगुणकालए २२५ दुयसंजोएणं २५१ ४२८,४३१,४३७,४५८, दुगुणतित्ते २६०[१०]गा.४७ ४६७,४७५,५०६,५२९, दुगुणनीलए २२५ | दुरभिगंधगुणप्पमाणे ४३१ ५३०[२],५३१त:५३३, दुगुणसुरभिगंधे २२५ दुरभिगंधनामे २२१ ५३८,५६०,५७५,५७७, २६२[७]गा.७५ | दुरभिगंधो २२५ ५९७,६०१ दुणामे २०८,२०९ | दुरूव-० १६३,१६७,१७१,१७५ | दुसमयट्ठिईए १८४ दुण्णि २६०[१०]गा.५३ दुरूवूणो १३४,१३८,१६३,१६७, दुसमयट्टिईयाई १८४ २६०[११]गा.५४, १७१,१७५,२०१[४],२०२[४], दुसमयद्वितीए । १८८,३६४ २६९[११]गा.५५ २०३[४],२०४[४],२०५[४], | दुसमयद्वितीयाई १८८ दुइंसण २६२[७]गा.७४ २०६[४],२०७[४] दुसमयठितीए २०१२] दु० दुक्ख दुक्खं दुग्गंधि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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