Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 434
________________ ८० २० गेवेज्जए २८९ २८९ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मज्झिम० ६४ मणुयाणं ३४४ मल्ल मज्झिमउवरिम मणुस्सा ३३४,३३६ मल्ल२१६[१७] ०मणुस्साउए २४४ | मल्लदासे मज्झिमउवरिममणुस्साणं ३४४,३५२[१], | मल्लदिने २८९ गेवेजविमाणेसु ३९११८]] ३८८[१] मल्लदेवे २८९ मज्झिमए कुंभे ३१८ ०मणुस्साणं ३५२४२-३], मल्लधम्मे मज्झिमगेवेजए २१६[१७] __३८८[३] | मल्लरक्खिए मज्झिमग्गामस्स २६०[८] मणुस्से २१६[३,१२],२३७ | मल्लसम्मे २८९ मज्झिमग्गामे २६०[६] •मणुस्से २१६[१२] मल्लसेणे २८९ मज्झिममज्झिमगेवेज० ३९१[८] मणूस ३४६,३८२,४९२[३] मल्लाणं मज्झिममज्झिमगेवेजए २१६[७] | मणूसा ४०४ मल्ली २०३[२] मज्झिमसरमंता २६०[५]गा.३५ मणूसाणं ३४४,४११, मल्ले २८९ मज्झिमस्सरं २६०[५]गा.३५ ४२३१-३] मविनंति ३३६,३४६,३६०, मज्झिमहेट्ठिमगेवेजए २१६[१७] मणूसे २५३,२५५,२५७,२५९ ३८२,३९८ मज्झिमहेट्ठिम मणूसेहिं ४२३[१] मसी २६२[८]गा.७७ गेवेज्जविमाणेसु ३९१८] ०मणो ५९९गा.१३२ मसेण ४४१ मज्झिम २६०[२]गा.२६, मति ४६८ महर्ति ३६६ २६०[३]गा.२८,२६०[४]गा.३० मतिअण्णाणलद्धी २४७| महरट्ठए २७७ मज्झिमिल्ला ३३४गा.९७ ०मत्ता ६०६गा.१४३ महा २६[२]गा.६५ मज्झिमे २६०[१]गा.२५ मत्तोवगरण ३३६ महाणईए ३४३[४] मज्झे ४५० मत्स्यंडीणं ८३/०महादारा - ६०६गा.१४३ २२ मदिरं ४४५ महापह मडंब २६७,४७५ २३१ महाभेरी २६०[४]गा.३१ मण २६२[१०]गा.८० ३७,३८ महामेहस्स ३४३[३] मण २६२२८]गा.७६ | मनः ४४७गा.११७ महावीरस्स ३५८ मणपज्जवणाणपच्चक्खे ४३९ ५९९गा.१२९ महावीरो २६२४२]गा.६५ मणपज्जवणाणलद्धी २४७ | मयूरो २६०[३]गा.२८,२९९ महासत्तु २६२।२]गा.६५ मणपज्जवणाणं मरण ___ २६२[३]गा.२८,२९९ महासुक्क० ३५५[३] ०मणपज्जवणाणावरणे २४४ मल २६२[७]गा.७५ महासुक्कए २१६[१६] २८ | मलए ४३ महासुक्के १७३,३९१[७] मणि ३२९,५६८ मलयवतिकारे ३०८ महिय ५०,४६९ मट्ठा ३३६ | मम मणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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