Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 444
________________ २७६ २६५ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् ९० मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि विहि २६२[१०]गा.८२ वेउव्विया ४२५[४] वोच्छं २२६गा.१८, विहिजति ३२० वेजयंत ३९१[९] ६०६गा.१३६ विही ६०६गा.१३८ वेजयंतए २१६[१८] वोच्छामि २२६गा.२० विहो ४७६ वेज्जियं ४९६ व्वय ३२७ वीणा २१२ वेजो ४९६ शाले २३० ०वीतरागे २४१ वेढसंखा ४९४ | शेते . ३१२ वीतीवदेजा ३४३[२-३] वेढिमे ११,४७९ श्रीः २११ वीरणकारणं ४४४ ०वेदए २३७ | सकडेणं वीरणा ४४४ | वेदा ४९,४६८ सय । ४२५[२] वीरियलद्धी २४७ वेदिसं ३०७ | सकुलिया २६५ वीरियं २६६ वेति ५२० | सकुंतो ०वीरियंतराए २४४ वेमाणिए २१६[१३,१६] सक्कया २६०[१०]गा.५३ वीरो २६२[१]गा.६३, वेमाणिया ४०४| सक्करपभा० ३८३[३] २६२[२],२६२[२]गा.६४ वेमाणियाणं ३९१[१],४१२, | सक्करपभापुढवि० ३८३[३] ३२२,३६७,३९१[७] ४२६[१-२] सक्करप्पभा १६५,२४९ वुच्चति ३६७गा.१०४,४०३ वेमाणीणं ३९१[१] सक्करप्पभाए .. २१६[४] वुटुं ४४७| वेयण ३२७ | सक्करप्पभापुढवि० ३४७[३] बुढिं १७५गा.१० वेयणिज्जकम्म २४४ सक्का ३४३[५]गा.१०० २१/०वेयणे २४४ सगड वुड्डसावग २१ वेलणओ २६२[१]गा.६३, | सगभद्दिआओ ४९ वेइयाणं ३६० २६२[६],२६२[६]गा.७२ | सचित्तदव्वखंधे ६२ वेउविए ४०५तः४०७, वेलंबगाणं ८० | सचित्तदव्वोवक्कमे ७९,८२ ४०८[३],४११ वेलाणं ३६० सचित्ते ६१,७८,२७३,५६६, वेउव्विय० ४१२,४२१[१] वेस २६२[८]गा.७६| ५६७,५७०तः५७२,५७४ वेउब्वियसरीर० २३८ वेसो ५९९गा.१३० सच्चतिही ३०५ वेउब्वियसरीरा ४१४, वेसमणस्स | सच्छंद० ४९,४६८ ४१८[२,४],४१९[२,४], वेसियं ४९ सच्छंद - ४२०[१,३],४२२[२], | वेहम्म-० ४६३,४६६ सजोगी ४२३[२],४२४[२,४], | ०वेहम्मे ४६३त:४६६ सज्जग्गामस्स २६०[७]] ४२५[२],४२६[२,४] वेहम्मोवणीए ४६६ सज्जग्गामे २६०[६] वेउब्वियं २३८ वेहम्मोवणीते ४५८ सज्ज २६०[२]गा.२६, वीस ३३६ २२ २३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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