Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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मूलशब्दः वइसेसियं वक्कयं वक्क्रतिय वक्खार० वक्खाराणं वक्त्र वग्ग
+वग्ग वग्गमूल
०वग्गमूलं
४७५
०वग्गमूलस्स ०वग्गमूलाई ०वग्गस्स वग्गरिया वग्गो
श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि ४९ वणवराहो
२९९ वत्थ
१६९गा.१३ ४०,४५/वणसंड
३३६ +वत्थ
२६०[५]गा.३३ २१६९-१२] वणस्सइकाइए २१६[६],२३७ वत्थं
४४५ १६९गा.१३ | वणस्सइकाइया
४०४ वत्थाणं
५७३ ३६० वणस्सइकाइयाण ४२०[४] वत्थिए
३०४ ४४७गा.११७/०वणस्सइकाइयाण ४०८[२] | वत्थुम्मि
३२४गा.९४. ४२३[१],४२४[२], वणस्सइकाइयाणं ३४९[२], वत्थुविणासे ४२५[२] ३८५[५],४२०[४] वत्थुसंखा
४९५ ७२गा.५ / ०वणस्सतिकातियाणं ३४९[२] | वत्थूओ ६०६गा.१३९ ४१८[२],४२३[१], वणहत्थी
२९९ / वदंतं
३६६,४७६ ४२६[२] वणाई
४५५ वदासि
३६६,३९७ ४१८[२],४२३[१], वणाणि
४५१ वदिजा ४२६[२] वणे
२९९ वदेज्जा
४७४ ४१९[२],४२२[२] वणेण
४४१ वद्धमाणे २०३[२-३] ४२१[१] वण्ण
२२० | वय
२६२२८]गा.७६ ४१६वण्ण० ४२९,४३०व्य
३२७ २६०[५]गा.३७ वण्णगुणप्पमाणे | ४३० +वयण
५१गा.४ ४२३[१] वण्णणामे २१९,२२० | वयणविभत्ती
२६१ ४४६ वण्णितो
७४गा.७ | ०वयणं ३८५[२],६०६गा.१३७ ६०६गा.१३७/०वण्णियाओ ५२८,५३७,५४८ ०वयणेण २६२[४]गा.६९ ४९२[२] वण्णे
२३८ वयंतं
३६६,४७६ ४९२[२]गा.११९ वतिक्कम- २६२[६]गा.७२ वयंति ३४३[५]गा.१०० २६०[५]गा.३४ वत्तइस्सामि
६०५ वयासि
३६६ ३०४ वत्तव्वयं ५२५[१] वयासी
३६६ ४५२,४५६ वत्तव्वयं५२५[१] वर
५० २२४ ०वत्तव्वयं ५२५[१-३], वराडए
११,४७९ ३३६ ६०६गा.१४१ वराह
४४६ ७३गा.६ | वत्तव्वया ९२,५२१,५२५[२-३] | वराहो २९९ वत्तं २६०[१०]गा.४८ वरुडे
३०४ २९९ वत्तुं
४७६ | +वरुण
२८६गा.९० ३३६ वत्थ
२० वरुणे
१६९गा.११
वग्धं
वच्चइ
वच्छएहिं ०वच्छा वज्जवित्ती वज्झकारे वट्टइ वट्टसंठाणनामे
वण
२९९
वणतिगिच्छ वणमयूरो वणमहिसो ०वणराईओ
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