Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 424
________________ ३६० श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् ७० मूलशब्दः सूत्राकादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि पण्णवर्ग ३६६,३९७ | पत्थयो ४७४ ३५२[१],३५५[१,४-५],३७६ +पण्णवण ५१गा.४ | पत्थो ३१८ पन्नत्ता ३८३[४],३८५[१,५], पण्णवणा ३७३,३८०,३९५ पद १८४,२६०[१०]गा.४९ ३८७[३,४],३९१३-४,७], पण्णवयं ३६६ पदत्याधिकार १७,३७ ४००,४०२,४०६,४०८[३], पण्णविज्जइ ३९५ पदत्थो ६०५गा.१३५ ४११,४१७,४१८[१-२], पण्णविज्जति ३७३,३८०,५२२ पदविग्गहो ६०५गा.१३५ ४१९[१-३],४२०[१,३], पण्णवियं १७,३७,५९ पदसंखा ४९४ ४२१[१],४२३१-३], पण्णा २६०[५]गा.३४ पदं १४,२०७[४],४८२,५३९, ४२४[२],४२६[१] पण्णासाए ३९०[१-२] ५४१,५५०,५८३,६०५, पन्नत्ते ६५,१२२,२४५ पण्हावागरण[धरे] २४७ ६०५गा.१३५ पन्नासं ३९१२] पण्हावागरणाई ५० पदे ४२३[१] पप्पुय- २६२[९]गा.७९ पतरस्स ४१४,४२४[२] पदेणं ६०५ | पब्भाराणं पतरं ३६१/०पदेणं २६७ | पभाए २० पतरंगुले ३३८ पदेसणिप्पण्णे ३३०,३३१ ०पभितयो •पतिट्ठाणा २६०[४]गा.३१ पदेसदिलुतेणं ४७६ /०पभितिओ पतिविसेसो ३३,५५,४८० | पदेसनिप्पण्णे ३६३ | पमाण ४१८[२] पत्त० ३२३,६०० पदेसनिप्फण्णे ३१४,३१५,३६४ पमाण० ३३४ पत्तट्टे ३६६ ०पदेसं ३९६ पमाण ४२६[२] पत्तय० ३९,५४३,५९६ पदेसा ४०१ |पमाणनामे ३१२ पत्तलक्खणे ६०००पदेसा ३९६ पमाणं ९२ ४९२[४]गा.१२० / ०पदेसिए ६७,९९,१०३,३१५ ०पमाणं १०५गा.८, ०पत्तं ४९२[४]गा.१२० पदेसिया १०३,४०३ १२२गा.९,१४९गा.१० पत्थओ ४७४ पदेसे ४७६ | पमाणंगुलं ३५८ पत्थग० ४७४/०पदेसा ३९६ | पमाणंगुले ३३३,३५८,३६२ पत्थगदिट्टतेणं ४७४ पदेसो ४७६ पमाणंगुलेणं ३६० पत्थगस्स ४७४ | ०पदेसो ४७६ |पमाणाणं ३४३[५]गा.१०० ०पत्थडाणं ३६० / ०पदेसोगाढे ३३१/०पमाणे २८४,३१७, पत्थय४७४ | पद्यानि २२८ ४२८तः४३६, पत्थयदिडतेणं ४७३ पन्नत्तं ४८ ४७०त:४७२ पत्थयं ४७४ पन्नत्ता ९७,१३५,१४१, ०पमाणे ३३४गा.९६ पत्थया ३१८, ३४७[१-२,६],३४९[१-२, पमाणे २८३,३१३,५२० २० पत्तं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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