Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 427
________________ ७३ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः २६२[५]गा. ७१ ३३४गा. ९६ | पंचविहे २९८ ३३६ ३८३[४] | पंचविहो २६२[८]गा. ७० |पंचसवच्छरिए २४४ पंचहिं ३८३[४] | पंचुत्तरपलसतिया १६५, २४९ पंचेंदिय २१६[४],३४७[५] पंचेंदियतिरिक्ख २००,२५१,२५६,२९८, पंचेंदियतिरिक्ख३२८,३४७[१,६], जोणिए ३५५[३],४०५,४११ | पंचेंदियतिरिक्खजोणिया ३६७ | पंचेंदियतिरिक्ख २५८ जोणियाण २५१ पंचेंदियतिरिक्ख २५१ जोणियाणं मूलशब्द: पसुं ०पसूया पहा ० पहा • पहासु • पहासो पही पंभापुढ पंकप्पभा पंकप्पा पंच पंच० पंचकसंजोगे पंचगसंजोएणं पंचगसंजोगे पंचणदं पंचनामे पंचह पंचनामे पंचम० पंचमस्सरभंता पंचमं पंचविहं पंचविहा Jain Education International १४२,१८३,१९९ २१९,२२०, २२२, पं० [णत्ता] २२४,२३२,३१६,४२९,४३०, २६०[५]गा. ३६ २६०[२]गा. २७, पंडर० २६० [३]गा. २९, पंडरंग २६० [४] गा. ३१ पंडरंगए ४३२, ४३४,४३८, ४७२ ४७६ ३६७ पंथम्म २९८ २०८ ० पंचेंदियतिरिक्ख ४७६ जोणियाणं २३२ ४२३[१] | ०पंचेंदियाणं पंचमिया २६०[९]गा. ४१ | पंडियवीरियलद्धी पंचमी २६१गा. ५८, २६१गा. ६१ ०पंडुपत्ताणं पंचमे २६० [१]गा. २५ पंडुयपत्तं १,४०,४३,४४,४४२ पंडुरे ९८,११५, पं० [णत्ता] ३९०[३] | पाउप्पभायाए ३२२ ० पाउरणा ३५१[४] | पाउसए ३८७[४] | पागार ० | पाडलिपुत्ते २१६[८-११] | पाण० [दे०] ४०४ | पाणए पाणयए ३५१[१],३८७[१], | ०पाणं ४१०,४२२ [२] | पाणि पाणत ४२२[१] | पाणते पाणु ३५१[२४], पाणि ३८७[२-४] | पाणेणं[ दे० ] ३५१[२-४], पात्रं ३८७[३] |० पात्रं २२ पादसंखा २१ पादो २८८ पाय० सूत्राङ्कादि ३८४[१],३८८[१], ३९१[२,८],४०५तः ४०७,४१४तः४१६, ४२०[१],४२५[१-२], ४३९,४८१,४८४ ३२४गा. ९४ २०, २१ २२ २७८ ३३६ २४७ ४९२[४]गा. १२२ | पायपुंछणाणं ४९२ [४] गा. १२१ पायया २० पायवेहम्मे ३८३[२-३], पायसमा For Private & Personal Use Only ४७५ ४६६ ३९१[७] ३५५ [३] १७३, २४९ २१६[१६] ४५२ ३६६ ३६७गा. १०४ ३६७गा. १०५ ४६६ २९५ २९५ ४९४ ३३५, ३४५, ३५९ ४५९, ४६१, ४६३, ४६५ ५७३ २६०[१०]गा.५३ ४६३, ४६५ २६० [१०]गा. ४४ www.jainelibrary.org

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