Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 389
________________ ३५ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् | एक्केक ३५८ ऊहते २३१ मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि उस्सप्पिणी० ४१३,४१८[२], | ऊरणिए २७४ | एक्कं १९५[२],३८३[२],४९० ४२१[१] ऊरणीहिं २७४ | एक्का ३५५[५] उस्सप्पिणीओ ५३२-ऊरु . ३६६ एक्काए ४४६गा.११६ उस्सप्पिणीसु ५३२ ऊर्ध्वकर्णः ३१२ एक्कूणतीसं ३९४८] उस्ससियसमं २६०[१०]गा.५० ऊसास० ३६७गा.१०४ | एक्कूणवीसं ३९१[७] उस्सासा २६०[१०]गा.४४, उसासा २६०[१०]गा.४३ | एक्के २५१,२५८ ३६७गा.१०६ | ऊसासो ३६७ ७४गा.७ उस्सेहगुल. | एक्कक्के ७९ उस्सेहंगुले ३३३,३३९, | एए १०१,११८,२६२[१०]गा.८२ | एक्केक्को ४७६ ३४४,३४६,३५७ | एएण ५९९गा.१३० | एक्को २०४[२-३],३२६, २२६गा.२० | एएणं ३१९,३२१,३२३,३३६, ४२३[३],४७९, उंकारत . २२६गा.२३, ३४५,३४६,३६०,३९७,४०४ ४८३[१],४९७ उंदु०[दे०] २७ एएसि ११४[१],१५८[१], एग० १०८[१-२], उंदुरुक्कादे०] २६०[२], २६०[५],३५७ | १०९[१],१५२[१],१५४,१९३, ऊ २२६गा.१९ | एएसिं ७१,२२६गा.१८,३७२ | १९५[२],१९६[१-२],३६४ ऊकारता २२६गा.२२ | गा.१०७,३७९गा.१०९,३८१गा. | एगक्खरिए २१०,२११ ऊकारतो २२६गा.२१/ ११०,३९४गा.११३,३९७गा. | एगगहणगहितं ४७६ ०-ऊणं १५३[१],३८३[२], ११४,४१९[३],४२०[१], | एगगुणकक्खडे २२५ ३८७[४],५१०,५१२, ४२४[४],४२५[४], एगगुणकालए २२५ ५१४,५१६,५१८ ४२६[४], ४५४ | एगगुणतित्ते २२५ ०-ऊणा ___३८६[३] | एएहिं ३७५,३८०,३८२,३९५ एगगुणनीलए २२५ ३८७[२],४१६ एका ४८३[१,४] | एगगुणसुरभिगंधे २२५ ०-ऊणाई ३८३[२], | एकूणपण्णासं ३८६[२] एगट्ठा ५१गा.४ ३८५[१-५],३८६[१-२], |एको ४८३[३] एगट्ठिया २९,५१,७२ ३८७[३-४],३८८[३] | एक्कतीसं ३४७[४],३९४८-९] | एगणामे २०८,२०९ ०-उणे १५२[१],१९३ | एक्कत्तीसं १५२ ३४७[३] | ...१४३ ०-ऊणो १३४,१३८,१६३, | एक्कभवियं ४९१ एगपएसोगाढाओ १४७ १६७,१७१,१७५,२०१[४], | एक्कवीसतिं २६०११]गा.५६ | एगपएसोगाढे १४३,१४७, २०२[४],२०३[४],२०४[४], एक्कवीसं । ३९१[७] १७७,१७८ २०५[४],२०६[४],२०७[४], | एक्कसमयठितीए २०१[३] | एगपदेसिया ३३७,३५६ ५१०,५१२,५१४,५१६,५१८ एक्कसेसे २९४गा.९१ एगपदेसोगाढे ३३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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