Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 413
________________ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् २९८ २२ मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि तिपहं २९८ | २०५[१],२०६[१],२०७[१], तुडिय० ३६७ तिपुक्खरं २९८ | तिविहा ४८४,४८७,५२१, तुडियंग० ३६७ तिपुरं ५२५[२],५८४,५९२ तुडियंगे २०२[२],३६७,५३२ तिभागं ४८९ | तिविहे ५८,६१,६५,७८,७९, | तुण्णाए ३०४ तिभागे २१७,२७३,३३३,३३७, तुण्णाग० ३६६ तिमहुरं ३५६,३६१,३६९,४२७,४३५, तुप्पोट्ठा तिय ४३९,४४०,४५९,४६३,४७०, तुब्भे ४९२[४]गा.१२१ तियसंजोएणं २५१ ४७३,४७५,४९८तः५०५, ४९२[४]गा.१२१ तिरिक्खजोणिए २१६[३,५],२३७ ५३०[१],५३४,५४०, तुरगा २९८ तिरिक्खजोणिए २१६[८-११] ५५१,५६२,५६५तः५६७, तुलमाणे ३३४ तिरिक्खजोणिय ४९२[३] | ५७०,५७१,५७८,६०२ तुला ३२२ तिरिक्खजोणिय० ३४६, ०-तिव्वज्झवसाणे २८ तुलाओ ३२२ ४९२[३] तिसमयट्ठिईए १८४,१८८ तुल्ला ११४[१],१५८[१] ०तिरिक्खजोणियाउए २४४ | तिसमयट्टितीए २०११२],३६४ तुल्ले - ३३८,३५७,३६२ तिरिक्खजोणियाण ४२२[१] तिसमयद्वितीयाओ १८४,१८८ | तुंबवीणियाणं तिरिक्खजोणियाणं ३५१५२,४], | तिसरं २९८ मूलशब्दः ____३८७२-४],४२२[२] तिसु ३५१[४] | तूणइल्लाणं तिरियजोणिय ३८२ तीत० ५०,४५०,४५१, | ते १४५,१८६,१८८, तिरियलोए १६१,१६२,४७५ ४५४,४५५, २२६गा.१९,२२९,२५२,२५४, ४७५,५३१ तीतकालगहणं ४५०,४५१, २५६,३३४गा.९८,३७२,३७४, तिरियलोयखेत्ताणुपुव्वी १६८ ४५४,४५५ ३७९,३८१,३९६,३९७,४०३, तिलएण ४४१ | तीतद्धा २०२[२],५३२ ४१३तः४१६,४१८[१-३], तिलये १६९गा.१३ | तीय० ४५५,४६९ ४१९[२],४२०[१,३], तिविधे १९ | तीयकालगहणं ४२१[१],४२२[२], तिविहं १६,२५,३६,२२६ | तीसं ३६७,३९१८] ४२३[१-३],४२४[२], गा.१८,४५०,४५४, | तीसे ३६६ ४२५[२],४२६[२], ४९१,५२५[१] तु २६०[३]गा.२८,२६०[५] | ४७६,५६१ तिविहा १३१,१३५,१६०, गा.३३,२८४गा.८५, तेइंदिए २१६[५] १६४,१६८,१७२,१७६, ३०२गा.९२,३५१[५]गा.१०१, तेइंदिय० २१६[७] २०१[१],२०२[१], ३७३,३८०,३९५ तेइंदियाणं ३५०[२],३८६२], २०३[१],२०४[१], तुडिए २०[२],३६७,५३२ ४२१[२] सूत्राङ्कादि ४५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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