Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 407
________________ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् जो ५० मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि २६२[२]गा.६५, झवेता २६०[१०]गा.४५ ठवणावस्सयं ९,११ २६२[४]गा.६८,२६२[१०] | टंकाणं ३६० | ठवणासंखा ४७९ गा.८०,४७६,४९६,५२६, ट्रक १०१ ठवणासामाइए ५९३ ५९९गा.१२८,६०६गा.१४० / ०ट्ठवणाओ ५३७ | ठवणासुयं ३०,३२ जोइसिए २१६[१३,१५] ट्ठिईए १८४,१८८ ठवणिज्जाई जोइसिया ४०४ | ट्ठिईए ३६४ | ठवणोवक्कमे जोइसियाणं ४१२,५२५[१-२] | ट्ठिईयाई १८४ ठविज्जइ जोइसीणं ३९०[१] ट्ठिओ ६०६गा.१४१ ठविज्जति ३२,५४ जोग ७३गा.६,५२६गा.१२३ / द्वितीए १८४,१८८, | ठाणधरे २४७ जोगी २०१[२-३],३६४ | ठवेजति ४७९ जोणि १८,६०, द्वितीयाई . १८८ ठाणं जोणी २६०[१०]गा.४३, द्वितीयाओ १८४,१८८ ठाणाई ५०७,५०९,५११, जोणी० ३८,४८६,५४२,५५३, | ठप्पा १८१ ५१३,५१५,५१७,५१९ ५६४,५८६ | ठप्पाइं २ | ठिई ३८८[१] जोतिसियाणं ३५४,३९०[१] ठप्पे ३४१,३७१,३७८,३९३ ठिईए १८४,१८८,३६४ जोयण ४२४[२] |ठवणज्झयणे ५३६ | ठिईपए १५३ जोयण ३४८[१],३४९[२], | ठवणज्झवणा ५८० ठिईयाई १८४ ३५१[१-३],३५१[५]गा.१०१, ठवणज्झीणे ५४७ / ०ठिओ ६०६गा.१४१ ३५१[५]गा.१०२,३५५[१], | ठवणप्पमाणे २८२,२८४,२९१ | ठितं १४,५३९,५५०, ३६१,४२११],५०८ ठवणसमोयारे ५२७ ५६१,५८३ जोयणं ३३५,३४५,३५९,३७२, ठवणसंखा ४७७ ठिती ३८३[१-४],३८४[१], ३७४,३७९,३८१,३९४,३९६ | ठवणा ११,१२,३२,३३, ३८५[१,५],३८७[३-४], जोयणाई ३३६,३५०[१] ५४,५५,४७९,४८० ३८९,३९१[२-४,७-९] ०ज्झवणा ५८२ तः ५९२ | ठवणाए ५५८ ठिती० २०० ४४७गा.११७ ०ठवणाए ११,४७९ ०ठितीए १८४,१८८,३६४ झल्लरी २६०[४]गा.३० | ०ठवणाओ ७७,९४,५२८, | ठितीयाओ १८४,१८८ झवण५९६ ५३७,५४८,५५९,५८१,५९४ | ०ठितीयाई १८८ झवणा ५३५,५८०,५९२ | ठवणाखंधे ५२,५४ ठियं ३५,५७[१],४८२ झवणा० ५८५,५८९ ०ठवणाणं १२,१३,५५,४८० | डहेज्जा ३४३[२],३७२,३७४, झवणा ५८३ |ठवणाणुपुव्वी | ३७९,३८१,३९४,३९६ ०झवणा ५८२तः५९२ | ठवणानाम २८४गा.८५ डोडिणि०[दे०] ९० ज्ञेयैः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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