Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Aryarakshit, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 387
________________ ३३ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य तृतीयं परिशिष्टम् ५३३ उद्दीहिं मूलशब्दः सूत्राङ्कादि | मूलशब्दः सूत्राङ्कादि मूलशब्दः सूत्राङ्कादि उट्टवाले | उदइय० २५१ | उन्नामियए २७० उट्टिए ४४ | उदउल्ले ३४३[३] उपक्रम २७४ | उदए २३४,२३५,२३८, | उप्पण्णणाणदसणधरे २४४ उट्ठियम्मि २५३,२५५,२५७,२५९ | उप्पण्णणाणदंसणधरेहिं ४६९ उरेणू ३४४ | उदएणं २३५ / ०-उप्पण्णो २६२[६]गा.७२ उडरेणूओ ३४४ उदकं २३१ -उपपत्ति २६२[४]गा.६८ उड्डलोए १६१,१६२,४७५ उदगबिंदु ३४३[५] | उप्पन्न उड्डलोगखेत्ताणुपुव्वी १७२ | उदगमच्छा २४९/०-उप्पन्नो २६२[९]गा.७८ उड्डे ३७२,३७४,३७९, | उदगावत्तं ३४३[५] -उप्पल २० ३८१,३९४,३९६ उदधिाकुमारे] २१६[१३] | उप्पल. १६९गा.१३ उण्णिए ४४ | उदयनिप्फण्णे २३४,२३६,२३८ उप्पलंगे २०२[२],३६७,५३२ उत्तम० ३३४गा.९६,३३४गा.९८ | उदयिए २५४ | उप्पले २०२[२],३६७,५३२ उत्तरकुरा ४७५ | उदरं २९५ | उप्पायं ४५३,४५७ उत्तरकुरुए २७७ | उदू २०२[२] -उप्पिच्छ(दे०] २६०[१०]गा.४७ उत्तरकुरुयाणं ३४४ | ०-उद्दाम २६२[३]गा.६७ | उभओकालं २२,२८ उत्तरगंधारा २६०[९]गा.४१ उद्दामा २२ | उम्मग्गे ५२५[३]] उत्तरढभरहे ४७५ उद्दिस्संति -उम्माण ३३४गा.९६ उत्तरमंदा २६०[८]गा.४० | उद्देसगसंखा ४९४ | उम्माणजुत्ते ३३४ उत्तरवेउव्विया ३४७[१-६], | उद्देसगा ६ उम्माणपमाण ३२३ ३४८[१],३५३,३५५[१,३] उद्देसगो उम्माणपमाणेणं ३२३ उत्तरा, २६०[८]गा.४० | उद्देसे ६०४गा.१३३ उम्माणे ३१६,३२२ २८५गा.८७ | उद्देसो २,३,४,५/०-उम्मादणकरं २६२[३]गा.६७ उत्तरायसा[ता] २६०[८]गा.४० | उद्धार० ३७६ | उम्मिणिजइ ३२२ -उत्तरियाए १३४,१३८, | उद्धारपलिओवम० ३७५ / ०-उम्मिल्लियम्मि २०१[४],२०२[४], उद्धारपलिओवमे ३६९,३७०, | उर० २६०[१०]गा.४९ २०३[४],२०४[४], ३७२तः३७४,३७६ | उरग० ५९९गा.१३१ २०५[४],२०६[४],२०७[४] उद्धारसमया ३७६ | उरपरिसप्प ३८७[३] उत्तालं २६०[१०]गा.४७ / उद्धारसागरोवमस्स ३७२गा.१०७, | उरपरिसप्प० २१६[१०], उत्तिणाणि ३७४गा.१०८,३७६ ३५१[३],३८७[३] उदइए ११३[१],२०७[२-३], उद्धारे । ३७५,५०८ | + उर-भुयग ३८७[५]गा.११२ २३३,२३४,२५२ तः २५९ उद्धारेणं ३७६ उरस्स० ३६६ २० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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